रुक मत जाना: डॉ निशा अग्रवाल

डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

मत रुक जाना भोर संग तुम
बस आगे ही बढ़ते जाना
ये कुछ पल का उजियारा है
जिसे देख बस तुम मुस्काना

भोर हमे नवनीत है देती
उमंग जोश से ये है भरती
नए नए आयामों के संग
चलने को ये प्रेरित करती

आओ करें नमन भोर को
सबका ये अभिनंदन करती
हर प्राणी के अंतर्मन में
खुशियों का श्रृंगार ये करती

मत रुक जाना तिमिर संग तुम
घबराकर तुम भाग ना जाना
परख काल की इस बेला को
हंसकर ही जीना सिखलाना

भ्रमित काल ये विषम काल भी
पथ चिंतन का काल यही है
धैर्य शांति से तिमिर परे कर
उजले पल का दर्शन पाना