सावन जब से आया है- शिवम मिश्रा

सावन जबसे आया है

मन मयूर बन नाचे है
पेड़ों में पड़ गए झूले हैं
चारों तरफ शिव शम्भू भोले हैं
नभ में घटा काली छाई हैं

सावन जबसे आया है

मोर नृत्य करते सबका मन भाए हैं
पपिहा स्वाति नक्षत्र में मुंह फैलाए है
मादक मादक बहे अब पुरवाई है
प्रकृति ये दृश्य देख मुस्कुराई है

सावन जबसे आया है

सखियां बैठे संग कजरी गाती है
सुहागन करती तीज की तैयारी हैं
बहना बांधे राखी ख़ुश बड़ा भाई है
कागज़ की कश्ती पानी में उतर आया हैं

-शिवम मिश्रा ‘गोविंद’
मुंबई, महाराष्ट्र