प्रोफेसर वंदना मिश्रा
हिन्दी विभाग
GD बिनानी कॉलेज
मिर्ज़ापुर-231001
मैंने अपने मारक दुख,
रुक रुक कर
सकुचाते हुए कहे,
हँसते लोगों ने,
उसका कारण
सिर्फ़
मेरी काव्यात्मक सोच
बताया
और चल दिए
मैंने अपने दुख
कविता को बताया
अब लोग कहते हैं,
अरे इतना दुःख!
कभी
हमसे तो कहती