समरस साहित्य सृजन संस्थान एवं जकासा की संयुक्त काव्य गोष्ठी हुई आयोजित

राम नाम के उच्चारण से, जल सा शीतल हो मन भाव।
मर्यादित यदि करे आचरण, रहे न मन में कहीं दुराव।।
राम राज्य आदर्श सभी का, सत्य बताने आये राम।
निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।।
लक्ष्मण लड़ीवाला ‘रामानुज’

समरस सृजन साहित्य संस्थान जयपुर एवं जकासा की संयुक्त 15वीं काव्य गोष्ठी का प्रारम्भ वैद्य भगवान सहाय पारीक की ढूँढाड़ी में सरस्वती वंदना के साथ प्रारम्भ हुआ। संस्कृत कॉलेज से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ सत्यनारायण शर्मा के आतिथ्य में आयोजित काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता साकार श्रीवास्तव ने की।

काव्य गोष्ठी में समरस के अध्यक्ष गीतकार लक्ष्मण लड़ीवाला, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राव शिवराज पाल सिंह, विनय कुमार ‘अंकुश, अरुण ठाकर, भानु भारद्वाज, साकार श्रीवास्तव, अशोक कुमार शर्मा, वैद्य भगवान सहाय पारीक, डॉ एनएल शर्मा, नीता भारद्वाज, सावित्री रायजादा सृजित सभी ने भावपूर्ण काव्य पाठ किया।

रंजीता जोशी ने ‘बेवफ़ाई भी वफ़ा के साथ खूब निभाई तुमने, टूटा जब दिल का आईना, खूब दवा भी हमसे मंगाई तुमने। दस्तूर है इश्क़ का हमेशा से, मुस्कुराते चेहरे पर अश्क आते हैं, दर्द अपनों से ही छिपाते है” सुनाकर कटाक्ष किया।

वरिष्ठ उपाध्यक्ष राव शिवराजपाल सिंह ने- “क्योंकि लगाना उसके ही चूना है इसीलिए ही इश्क के लिए उसको चुना है। मजनुओं की भीड़ में जेब उसकी भारी है इसीलिए तो इतना बड़ा जाल बुना है, व्यंग्य रचना सुनाई।

सेवानिवृत आईएएस डॉ श्याम सिंह राजपुरोहित ने- रंगीन मेरी शामों सहर है, क्योंकि तू मेरी हमसफर है। आसान मेरी हर डगर है, क्योंकि तू मेरी हमसफर है। और “वो रूह से बंधा है और बदन रक्स में है। वो नजर नहीं आता, वो मेरे हर अक्स में है।” मार्मिक रचना सुनाई।

समरस की उपाध्यक्ष डॉ. निशा अग्रवाल ने “तुझे कान्हा कहूं या लाल मोरे सांवरिया, गोपाला कहूं या बाल, मोरे सांवरिया। तू है अहंकार, मोरे सांवरिया।” सुनकर मन मोह लिया। मुख्य अतिथि डॉ. सत्यनारायण शर्मा ने विशुद्ध श्रृंगारित भावों का श्रेष्ठ गीत “गीत से गजल की जब पड़े भाँवरी” सुनाकर वाहवाही लूटी।

इस अवसर पर डॉ. एनएल शर्मा ‘निर्भय’ के कविता संग्रह ‘जिजीविषा’ का मुख्य अतिथि डॉ. सत्यनारायण शर्मा के कर कमलों से लोकार्पण किया गया। पुस्तक में मुक्तक, दोहा, रोला, कुण्डलिया, गजल गीतिका सहित कुल 133 रचनाएं संकलित है।

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे साकार श्रीवास्तव ने अपने सम्बोधन में  सभी कवियों की श्रेष्ठ रचनाओँ की प्रशंसा करते कहा कि बहुत समय बाद इतनी श्रेष्ठ कविताओं का रसास्वादन कर आनंद की अनुभूति हो रही है। गोष्ठी का सफल संचालन डॉ. निशा अग्रवाल द्वारा किया गया। गोष्ठी के अंत में मेजबान डॉ एनएल शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समरस के अध्यक्ष लड़ीवाला ने समरस और जकासा की ओर से आतिथ्य सत्कार के लिए मेजमान डॉ एनएल शर्मा के परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया।