सुजाता प्रसाद
स्वतंत्र रचनाकार
शिक्षिका सनराइज एकेडमी
नई दिल्ली, भारत
युग बदल जाता है
पर माँ नहीं बदलती
परिधान बदल जाते हैं
माँ तो माँ ही रहती है।
माँ की पहचान
उसका परिधान नहीं
माँ को माँ के जैसे ही
जाना जा सकता है।
सचमुच हर माँ के पास
जादू की एक छड़ी होती है
और होता है बच्चों के पास
एक जादुई एहसास।
बच्चों के लिए सबसे अच्छा
माँ का होना होता है
माँ के रुप में बच्चों के पास
जीत जागता ईश्वर होता है।