रूची शाही
मेरी आँखो का सबसे हसीन ख्वाब हो तुम
मुहब्बत की मुकम्मल कोई किताब हो तुम
तुम से रिश्ता मेरा बस इतना सा ही है
मैं खुद में थोड़ी सी हूँ, मुझमें बेहिसाब हो तुम
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दर्द के सिसकते साज को अनसुना न करो
दिल के पोशीदा राज को अनसुना न करो
दह रहा है मेरी आँखों से काजल उम्मीद का
सुनकर मेरी आवाज को अनसुना न करो