प्रोफेसर वंदना मिश्रा
हिन्दी विभाग
GD बिनानी कॉलेज
मिर्ज़ापुर-231001
कभी किसी खुदाई में
निकलेगी मेरी कविताएँ
तो कहेंगे लोग,
देखो ये वो थी,
जो जीवन भर
बेकार के ग़म
लिखती रही और
भरम पाले रही
कवि होने का!
वह दिन होगा जब
स्त्रियों के दुःख
जो लिखे मैंने
याद नहीं होंगे लोगों को
वो आश्चर्य करेंगे
कि ऐसा होता था कभी !
मेरी कविताएँ
मुस्कुराएगी
कि
इसी दिन के लिए ही तो
संघर्ष किया था हम सब ने
उसी दिन की इमारत के
नींव का पत्थर
बनने को
लिख रहे हैं हम सब