वंदना मिश्रा
एक छोटी सी तस्वीर
गिरी
बॉक्स साफ करते हुए
जिसे भतीजे की बेटी
‘छोटा बाबा ‘कहते हुए
ले भागी
बच्चे की तस्वीर मान
पिताजी ने बताया हँसते हुए हमसे
माँ है तुम्हारी।
तस्वीर में माँ दो चोटी किए
मासूम गुड़िया-सी है
पर होठों पर वही रहस्यमई मुस्कान
जो जब तक देखते थे
उसके होठों पर
माँ चली गई 8 बरस पहले
और जाने से पहले दे गई
भैया को अपना माथा
साफ झील सी गहरी आँखें बड़ी दीदी को
और कमर तक लहराते काले घने बाल
मझली दी को,
हम में से कई को संतोष करना पड़ा सिर्फ
माँ की झलक से
बेईमानी इतनी की मरने के कई बरस बाद
भतीजे की बेटी को दिया
मोती से जड़े सफेद
दाँतों की सौगात,
हम सब के बच्चों को
नजरअंदाज करते हुए
ईर्ष्या से भरे हम इंतजार करते हैं
उनकी सी तिरछी मुस्कान
अपने किसी बच्चे में
जाने कब से सहेज कर रखी थी
पिता ने माँ की यह तस्वीर
जैसे माँ के बचपन पर
सिर्फ़ उनका हक़ था।