प्रार्थना राय
ग्राम-पोस्ट- गौरा
देवरिया, उत्तर प्रदेश
हमने जलाकर आस के दीप
सजा दिए मन के अंधेरे में
कर लिया इरादा फौलादी
भर लिए आँखों में अंगारे
डटे हैं विकट परिस्थितियों के आगे
हमको विश्वास है खुद पर इतना
गुजार लेंगे ये वक्त भी हँसकर
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ढ़क नहीं सकता कभी
संघर्ष के सूरज को कोहरा कोई
दूर हो चाहे मंजिल कितनी भी
नहीं है सुकूं की छांव से वास्ता कोई
राह में हों पत्थर या कांटे कितने भी
रोक सकती नहीं ठोकर कोई
उपलब्धियों बिन चैन कहां
नहीं थकते कभी पांव भी