अनामिका गुप्ता
तमन्नाएं थी,
इक आरजू
तुझे पाने की
और…….
फक़त बात थी
हाथों में हाथ लिए
जमाने को दिखाने की
मुहब्बत के मारों को देख
जलता है क्यों जमाना
क्यों देख सके ना
दीवानगी दीवाने की
जुनून जो इश्क का
सर चढ़ जाये
मरकर भी पा लेंगे सनम
क्या करेगी
बेरूखी जमाने की
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तू भी दिल का खरीदार मिला
जो भी मिला दौलत का तलबगार मिला
एहतराम था तेरी वफ़ा पर
तू भी दिल का खरीदार मिला