अनामिका गुप्ता
पांव छुआ तो
तर गयी शिला
जूठे बेर खिलाकर भी
शबरी को था राम मिला
चलेगा सदियों तक यूं ही
राम नाम का ये सिलसिला
अब लौट आए हैं विष्णु अवतारी
दुनिया के तारनहारी
घर-घर मंगल गान हो रहे
आतुर स्वागत को दुनिया सारी
विरह से व्याकुल आकुल मन
स्वप्न संजोय बैठा जन जन
विराम संघर्ष को आखिर मिला
है बलिदान को न्याय मिला
सपना सबका सबकी आस
मन में उत्साह लिए विशवास
एक बार अवध में जाना है
दर्शन रामलला का पाना है
किंचित मेरी भी सुन लीजो राम
चरणों से लगाना सीताराम
रटते रटते राम मर जाऊं
प्राण तजूं मैं अयोध्या धाम