रिश्ता दोस्ती का: सुजाता प्रसाद

सुजाता प्रसाद
स्वतंत्रत रचनाकार,
शिक्षिका सनराइज एकेडमी,
नई दिल्ली, भारत

दोस्ती ना जाने पाए जिंदगी से
दोस्त नमक सी कमी होते हैं,
वरदान होता है रिश्ता दोस्ती का
दोस्त सचमुच संजीवनी होते हैं

चली आती हैं खुशियां जब दोस्त मिलते हैं
एक वजह खुशी की दोस्त भी होते हैं,
खुशियों के बताशे बांटती है दोस्ती,
दोस्त हमारे गमों के पहरेदार ही तो होते हैं

चले आते हैं दोस्त ले के यादें नई पुरानी
खजाना यादों का यूं ही खोल देते हैं,
नब्ज़ टटोल कर रख देते हैं दिल अपना
दोस्त, यादों की दुनिया के हमसफ़र होते हैं

दोस्ती ना जाने पाए जिंदगी से
दोस्त नमक सी कमी होते हैं,
वरदान होता है रिश्ता दोस्ती का
दोस्त सचमुच संजीवनी होते हैं