डॉ. शबनम आलम
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
भ्रामक लफ़्फ़ाज़ों से
कर लो भ्रमित आवाम को
अभी आवाम सम्मोहित है
तुम्हारे वाग्जाल में
जब टूटेगा सम्मोहन
तब लफ़्फ़ाज़ों और वाग्जालों का
न होगा कोई असर
क्योंकि, सम्मोहन के बाद
जब जागृत होती है चेतना
तब यथार्थ से पाला पड़ता है
फिर आवाम को समझ आ पाती है
लफ़्फ़ाज़ों और वाग्जालों से
पेट नहीं भरते! नौकरी नहीं मिलती
खेती नहीं होती! और न हीं
देश चलता है