डॉ. शबनम आलम
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
किसने कहा,
अब मैं मुहब्बत करती नहीं
मुहब्बत तो आज भी
करती हूं तुमसे
फर्क बस इतना है
पहले जुबां और ऑंखे
चुगलियां कर जाती थी
पर आज कहीं दूर
खामोशियों में खो गई है
क्योंकि
इजहारे-मुहब्बत को
अपनी तौहीन बर्दाश्त नहीं
डॉ. शबनम आलम
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
किसने कहा,
अब मैं मुहब्बत करती नहीं
मुहब्बत तो आज भी
करती हूं तुमसे
फर्क बस इतना है
पहले जुबां और ऑंखे
चुगलियां कर जाती थी
पर आज कहीं दूर
खामोशियों में खो गई है
क्योंकि
इजहारे-मुहब्बत को
अपनी तौहीन बर्दाश्त नहीं