साहित्य तौहीन: डॉ. शबनम आलम संपादक: लोकेश नशीने October 7, 2024 WhatsAppFacebookCopy URL डॉ. शबनम आलमअलीगढ़, उत्तर प्रदेश किसने कहा,अब मैं मुहब्बत करती नहींमुहब्बत तो आज भीकरती हूं तुमसेफर्क बस इतना हैपहले जुबां और ऑंखेचुगलियां कर जाती थीपर आज कहीं दूरखामोशियों में खो गई हैक्योंकिइजहारे-मुहब्बत कोअपनी तौहीन बर्दाश्त नहीं TagsDr. Shabnam Alamडॉ. शबनम आलम ये भी पढ़ें सम्मोहन: डॉ. शबनम आलम दर्द: डॉ. शबनम आलम अपनी मुहब्बत को जिंदा रखना: डॉ. शबनम आलम नवीनतम भावों का वनवास: रूची शाही आँगन: वंदना सहाय महेश कुमार केशरी की कविताएं स्वागत नया साल: अंजना वर्मा जो रह गईं अनकही: उषा किरण सादगी के प्रतीक: डॉ. निशा अग्रवाल Load more