Thursday, January 30, 2025

थाम लो उसकी बाहें: सुमन सुरभि

सुमन सुरभि

मुसीबतें
घने, काले बादलों की तरह होती हैं

कुछ पल के लिए बिल्कुल अंधेरा कर देतीं हैं,
पर ये बादल के टुकड़े कहाँ स्थाई होते हैं
कहाँ ये कभी एक जगह टिकते हैं,
रोशनी की एक पतली सी किरण इन्हें भेद देती है
दूसरे ही पल इन्हें उड़न छू कर देती है

बस! उसी एक पल में हमें खुद को संभालना होता है
वो एक छोटा सा पल, बरस समान लगता है
देखो
वो देखो, दिख रही है न
रोशनी की पतली सी किरण
थाम लो उसकी बाहें
आओ चलो चलते हैं

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