आईना शाण्डिल्य
मैं भी एक फ़साना लिख दूँ,
तुम भी एक कहानी लिखना।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
सोंधी-सोंधी माटी महके,
यादों के जब पानी बरसें।
तुमको भी जब याद आ जाऊँ,
उस दिन बरखा रानी लिखना।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
सूनी आँखें तब भर आयें,
प्याज, नमक, रोटी जब खायें।
मेहनत करके जिस दिन खाना,
उस दिन दाना-पानी लिखना।।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
कठिन राह ये जीवन की है,
दुःख के साथ मगर, सुख भी है।
मंज़िल तुझे पता देगी जब,
उस दिन राह सयानी लिखना।।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
नीड़ छोड़ सब पंछी जाएँ,
हम भी चल दें, क्यों घबराएं।
राह जो है, मंज़िल भी तो है,
जय की एक रवानी लिखना।।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
दोपहरी की धूप अभी है,
छलनामय प्रारूप अभी है।
पावों के जब छाले सूखें,
उस दिन शाम सुहानी लिखना।।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
अंबिया की फांकों सी आँखें,
खट्टी-मीठी इमली चाटे।
दिख जाये जब गाँव की गोरी,
एक छोरी अनजानी लिखना।।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
मन में सुमिरूँ कान्हा-कान्हा,
मन-पुकार सुन कान्हा आना।
जब न आये कान्हा, उस दिन,
आ जा राधा रानी लिखना।।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
भोली सी एक राजकुमारी,
नैन सजाये प्रीत कुँवारी।
प्रीत की डोली बैठेगी जब,
अपनी प्रेम-दीवानी लिखना।।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।
युग बीते और बरसों बीते,
लगता है कल परसों बीते।
अगर मिलूँ मैं किसी मोड़ पर,
भूली प्रीत पुरानी लिखना।।
मैं आँखों के आँसू लिख दूँ,
तुम आँखों का पानी लिखना।।