वंदना मिश्रा
उन्हें पसंद है
हमारी धीमी धीमी कराह
हमारा चीखना
उनके संगीत के मानक पर
खरा नहीं उतरता,
हमारे रक्त की बूँदें
सुर्ख कर देती हैं
उनके शोरबे का रंग और
उनके बच्चों के गाल,
उन्हें पसंद है हमारा
हर बार
सर झुकाकर सहना
हमारी रीढ़ ,बेहद नापसंद है उन्हें
हमारा सीधा खड़ा होना ,
हमारी प्रश्न पूछती आँखें
नागवार है उनके सौंदर्य बोध को,
हमारी विवशता की सिसकारियां
संगीत का काम करती हैं उनके लिए
उनकी बैठक में प्रवेश वर्जित है हमारा
पर कपड़े फीचती, खेतों में खटती
हमारी स्त्रियों के अधखुले वक्ष
शोभा बनते हैं प्रायः
उनके ड्राइंग रूम के
कार रेस में जीत कर आए
उनके नौनिहालों को
मनोरंजन का अवसर देते हैं
हमारे राज दुलारे,
हमारी बच्चियों की भावनाओं से
खेलते हैं उनके राजकुमार
और शादी के प्रश्न पर
उड़ेल देते हैं लैवेंडर की
पूरी शीशी उन पर
जिसकी सुगंध से
उड़ी-उड़ी फिरती हैं
बच्चियां हमारी
अपने सपनों के
रंग उड़ जाने तक