वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों के मूल्य में गिरावट के बाद अब भारत में भी कम होंगे दाम

खाद्य तेलों के घरेलू मूल्यों में गिरावट का रुख बरकरार रखने के लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने आज नई दिल्ली में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईएआई) और इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) सहित प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों के साथ दूसरी बैठक आयोजित की। इस बैठक में वैश्विक बाजार में मूल्यों में लगातार गिरावट को देखते हुए खाद्य तेलों के खुदरा मूल्यों में और कटौती करने के बारे में चर्चा की गई। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा एक महीने में उद्योग प्रतिनिधियों के साथ आयोजित की गई यह दूसरी बैठक है।

उद्योग प्रतिनिधियों ने बताया कि पिछले दो महीनों के दौरान विभिन्न खाद्य तेलों के वैश्विक मूल्यों में 150 से 200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की गिरावट आई है। यह भी जानकारी दी कि उन्होंने खाद्य तेलों के अधिकमत खुदरा मूल्यों में काफी कमी की है और वे जल्दी ही इन खुदरा मूल्यों को और भी कम कर देंगे। हालांकि खुदरा बाजार में इसका प्रभाव पड़ने में समय अंतराल एक महत्वपूर्ण कारण है फिर भी खुदरा मूल्यों में जल्दी ही कमी आने की उम्मीद है।

इससे पहले भी खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने प्रमुख खाद्य तेल संघों के साथ एक बैठक का आयोजन किया था और एक महीने में कुछ प्रमुख ब्रांडों के रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल के अधिकतम खुदरा मूल्यों में 5 से 15 रूपये प्रति लीटर की कमी आई है। इसी प्रकार सरसों तेल और अन्य खाद्य तेलों के मामलों में भी इसी तरह की गिरावट दर्ज हुई है। तेल की कीमतों में यह कमी अंतरराष्ट्रीय मूल्य कम होने और खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम किये जाने के कारण हुई है। उद्योग प्रतिनिधियों ने तब यह सुनिश्चित करने की सलाह दी थी कि खाद्य तेलों के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में कमी होने का पूरा लाभ उपभोक्ताओं को अनिवार्य रूप से दे दिया जाए।

आज आयोजित की गई बैठक में इस बात पर विचार-विमर्श किया गया कि आयातित खाद्य तेलों के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में लगातार गिरावट का रुख जारी है। इसलिए खाद्य तेल उद्योग को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि खाद्य तेलों के घरेलू बाजार मूल्यों में भी इसी अनुपात में कमी आए। खाद्य तेलों की कीमतों में आई इस गिरावट का लाभ अंतिम उपभोक्ताओं तक बिना देरी किए पहुंचाना होगा। प्रमुख खाद्य तेल संघों को यह सलाह भी दी गई है कि वे इस मुद्दे को तुरंत अपने सदस्यों के साथ उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि प्रमुख खाद्य तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्यों में तुरंत प्रभाव से 8 से 12 रूपये प्रति लीटर की कमी की जाए।

विनिर्माताओं और रिफाइनरों द्वारा वितरकों को दिए जाने वाले मूल्यों को भी तत्काल प्रभाव से कम किए जाने जरूरत है और खाद्य तेलों के मूल्यों की गिरावट में किसी भी कारण से रूकावट न आए। इस बात पर भी जोर दिया गया कि जब भी निर्माताओं/रिफाइनरों द्वारा वितरकों को दी जाने वाली कीमतें कम की जाती हैं, तो उद्योग द्वारा इसका लाभ उपभोक्ताओं को भी दिया जाना चाहिए तथा इस बारे में इस विभाग को भी नियमित रूप से सूचित किया जाना चाहिए। इस बैठक में मूल्य डेटा संग्रह और खाद्य तेलों की पैकेजिंग जैसे अन्य मुद्दों के बारे में भी विचार-विमर्श किया गया।

खाद्य तेलों के मूल्यों में गिरावट का रुख बरकरार रखने तथा खाद्य तेल उद्योग द्वारा और कटौती करने के कारण भारतीय उपभोक्ता खाद्य तेलों के मूल्य और कम होने की उम्मीद कर सकते हैं। खाद्य तेलों के मूल्यों में गिरावट से मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग देश में खाद्य तेलों के मूल्यों की नजदीकी निगरानी और समीक्षा करने के साथ-साथ खाद्य तेलों में किफायत सुनिश्चित करने के लिए जब भी आवश्यकता होती है हस्तक्षेप करता है।

खाद्य तेल मनुष्य के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। खाद्य तेलों के अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू मूल्यों में वर्ष 2021-22 के दौरान उछाल देखा गया था। इसके पीछे उच्च निवेश और लॉजिस्टिक लागत सहित कई भू-राजनैतिक कारक जिम्मेदार रहे। अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के मूल्यों में जून 2022 के मध्य से गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है। घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के मूल्यों में धीरे-धीरे गिरावट देखी जा रही है। हालांकि सरकार को ऐसा लगता है कि एसोसिएशन खाद्य तेलो के मूल्यों को और कम करके उपभोक्ताओं को राहत प्रदान कर सकती है।