मोदी सरकार ने दी 2023-24 के लिए सभी रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को स्वीकृति

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है।

सरकार ने रबी फसलों के विपणन सीजन 2023-24 के लिए एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। मसूर के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल और इसके बाद सफेद सरसों व सरसों के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी में पूर्ण रूप से उच्चतम वृद्धि को मंजूरी दी गई है। कुसुंभ के लिए 209 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी गई है। गेहूं, चना और जौ के लिए क्रमशः 110 रुपये प्रति क्विंटल और 100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी गई है।

इनमें श्रम, बुल़ॉक श्रम/मशीन श्रम, भूमि में पट्टे के लिए भुगतान किया गया किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरणों और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, डीजल/बिजली के संचालन के लिए सामग्री के उपयोग पर किए गए खर्च पंप सेट आदि, विविध, पारिवारिक श्रम का खर्च और इम्प्यूटिट मूल्य भी शामिल है।

विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर तय किया गया है, जिसका लक्ष्य किसानों के लिए उचित पारिश्रमिक तय करना है। सफेद सरसों और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 प्रतिशत है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 प्रतिशत, मसूर के लिए 85 प्रतिशत है; चने के लिए 66 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत; और कुसुंभ के लिए 50 प्रतिशत है।

वर्ष 2014-15 से तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है। इन प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। तिलहन उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 37.70 मिलियन टन (चौथा अग्रिम अनुमान) हो गया है। दलहन उत्पादन में भी इसी तरह की वृद्धि की प्रवृत्ति दर्ज की गई है। बीज मिनीकिट कार्यक्रम किसानों के खेतों में बीजों की नई किस्मों को पेश करने का एक प्रमुख साधन है और बीज प्रतिस्थापन दर को बढ़ाने में सहायक है।

2014-15 के बाद से दलहन और तिलहन की उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई है। दलहन के मामले में उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़ाकर 892 किग्रा/हेक्टेयर हो गई है (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) अर्थात इसमें 22.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार तिलहन फसलों में उत्पादकता 1075 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़ाकर 1292 किग्रा/हेक्टेयर (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) कर दी गई है।

सरकार की प्राथमिकता तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाते हुए आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को पूरा करना है। तैयार की गई रणनीतियां क्षेत्र के विस्तार, उच्च उपज वाली किस्मों (एचवाईवी), एमएसपी समर्थन और खरीद के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने के लिए हैं।