वाराणसी (हि.स.)। बदलती जीवन शैली, देर रात तक जागना और मोटापे की वजह से देश में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है। युवा और किशोर भी इसकी चपेट में आ रहे है। देश के हृदय रोग विशेषज्ञ इसको लेकर चिंतित है। लहुराबीर स्थित आईएमए भवन के सभागार में रविवार से आयोजित 10वें हार्ट इंडिया कॉन्क्लेव में देश भर से जुटे दिग्गज हृदय रोग विशेषज्ञों के चिंतन में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या ही रही। विशेषज्ञों ने कहा कि यह हालत अच्छी नहीं है। इस पर सभी को गंभीर होना होगा। यदि लोग अपनी जीवन चर्या में व्यापक बदलाव नहीं करते तो स्थिति गंभीर हो जाएगी।
युवाओं में पश्चिमी संस्कृति के व्यापक प्रसार और जीवन चर्या ने हालत को गंभीर बना दिया है। आज कल हाइपरटेंशन एवं ह्रदय रोग देश के नवयुवकों में जिनकी उम्र केवल 25 वर्ष है, उनको हृदय रोग हो रहा है। यह देश एवं चिकित्सकों के लिए चिंता का विषय है। सफ़दरगंज अस्पताल के डीन एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संदीप बंसल ने कहा कि अत्याधुनिक तनाव, फ़ास्ट फ़ूड का प्रचलन, देर रात तक जगना, मोटापे की वजह से हृदय रोगियों की संख्या बढ़ी है।
केजीएमयू के डीन एवं प्रोफ़ेसर डॉ. ऋषि सेठी ने कहा कि जागरूकता ही बचाव है। सही समय पर अपने चिकित्सक से मिले और यथोचित परामर्श लें तथा लाइफ स्टाइल माडिफिकेसन पर ध्यान दे। हार्ट इण्डिया कान्क्लेव के आयोजक सचिव डॉ आलोक कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि एमडी के विद्यार्थियों को अनुसंधान के लिये संस्था दो लाख का स्कालरशिप देगी। उन्होंने बताया कि इस कॉन्क्लेव में देश के लगभग 100 से अधिक हृदय रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। इस आयोजन में पहले दिन 25 लोगों ने अपना शोध प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने दिया। इस अवसर पर डॉ. ऋषि सेठी, डॉ. ए प्रधान को बेस्ट एडिटर एवं बेस्ट रिसर्च पेपर का पुरस्कार दिया गया। सामाजिक सेवा के लिये डॉ. शिप्रा धर को उनके अभियान बेटी नहीं है बोझ आओं बदले सोच के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. रोहित तिवारी, डॉ. रजनी सहगल, डॉ. आशीष जायसवाल, डॉ. मनोज गुप्ता, डॉ. ए. के. सिंह, डॉ. जी. एस. सिह, डॉ. मोनिका गुप्ता, डॉ. पी आर सिन्हा, डॉ. रमन पुरी आदि की उपस्थिति रही।