इलायची औषधीय रूप से अति महत्त्वपूर्ण है। यह दो प्रकार की होती है– छोटी व बड़ी। छोटी इलायची सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है। इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास (दमा) तथा दाहयुक्त पीड़ाओं एवं रोगों में किया जाता है।
औषधीय प्रयोग
- अधिक केले खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है।
- धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मिचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें।
- 1 कप पानी में 1 ग्राम इलायची चूर्ण डाल के 5 मिनट तक उबालें। इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें। 2-2 चम्मच यह पानी 2-2 घंटे के अंतर से लेने से जी मिचलाना, उबकाई आना, उलटी आदि में लाभ होता है।
- छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। चुटकीभर चूर्ण को 1-1 घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है। कफ पिघलकर निकल जाता है।
- रात को भिगोये 2 बादाम सुबह छिलके उतारकर घिस लें। इसमें 1 ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, 1 चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है।
- आधा से 1 ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से दाह, पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है।
- आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और 1-2 ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से ह्रदयरोग में लाभ होता है।
- छिलके सहित 1 इलायची को आग में जलाकर राख कर लें। इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है।
- 1 ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है।
सावधानी
- रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी डकारें आती है।
- इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है।