प्रयागराज महाकुंभ में आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा अद्वैत वेदान्त दर्शन के लोकव्यापीकरण एवं सार्वभौमिक एकात्मता की संकल्पना के उद्देश्य से 12 जनवरी से 12 फरवरी तक चलने वाले एकात्म धाम शिविर का शुभारंभ आज रविवार को ऋषि चैतन्य आश्रम की प्रमुख आनंदमूर्ति गुरू माँ ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया, उन्होंने पहले दिन आचार्य शंकर विरचित ‘दृग-दृश्य विवेक’ पर प्रवचन दिए, इस अवसर पर साधु संतो सहित देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।
उन्होंने ‘दृगदृश्यविवेक’ पर वक्तव्य देते हुए कहा कि वेदांत किसी और को नहीं स्वयं को जानने की यात्रा है, इसी देह में रहते हुए आत्मबोध हो जाना सबसे अद्भुत चमत्कार है। दृष्टा और दृश्य के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि मन इन्द्रियों के माध्यम से जानता है, और जो मन के जानने को जान रहा है वही सच्चिदानंद स्वरूप दृष्टा है। चेतन का स्वरुप ही ज्ञान है। स्वयं को मन, बुद्धि मानना अज्ञान है, अज्ञान बोध के कारण ही मनुष्य भ्रम में जीता है, जबकि वह सच्चिदानंद स्वरुप है।
आचार्य शंकर के कारण आज महाकुंभ का यह स्वरुप
उन्होंने कहा कि आचार्य शंकर ने सभी को एकता के सूत्र में जोड़ा, आज महाकुंभ का यह स्वरूप आचार्य शंकर की देशना का ही परिणाम है। मप्र शासन के एकात्म धाम प्रकल्प की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल अद्भुत और अभूतपूर्व है।
गंगा ब्रह्मविद्या की परिचायक
उन्होंने कहा कि गंगा ब्रह्मविद्या एवं यमुना प्रेमाभक्ति की परिचायक है,इनका संगम ही ध्यान स्वरूपा सरस्वती का प्रकटीकरण है। संगम के तट पर अनेक सिद्ध साधु कल्पवास के लिए आते है, जिनके दर्शन प्राय :दुर्लभ होते है।
अद्वैत के अमृत में डूबे श्रोता
आनंदोहम्, परमानंदम् एवं निर्वाणषट्कम पर सभागार, भाव विभोर होकर अद्वैत के अमृत रस में डूबा। एकात्म धाम शिविर का आयोजन महाकुम्भ क्षेत्र के सेक्टर-18, हरिश्चन्द्र मार्ग, झूंसी में किया जा रहा है। शिविर में प्रतिदिन अद्वैत वेदान्त पर केन्द्रित संवाद, श्रवण, मनन, निधिध्यासन द्वारा ध्यान, शास्त्रार्थ सभा, संत समागम, शंकर संगीत एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम, वैदिक अनुष्ठान एवं भाष्य पारायण, ‘एकात्म धाम’ प्रकल्प पर केन्द्रित प्रदर्शनी, अद्वैतामृतम्, विमर्श सभा, पुस्तक प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र होगी।
यह सुखद संयोग है कि इस बार महाकुंभ में पहली बार श्रृंगेरी शंकराचार्य श्री श्री विधुशेखर भारती सन्निधानम् आ रहे है, वे एकात्म धाम द्वारा 25 एवं 26 जनवरी को आयोजित शास्त्रार्थ- सभा एवं दिनांक 27 जनवरी को आयोजित संत-समागम की अध्यक्षता करेंगे। संत समागम में श्रृंगेरी शंकराचार्य के साथ द्वारिका शंकराचार्य श्री श्री सदानंद सरस्वती, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज सहित हजारों साधु संत शामिल होंगे।
अद्वैत एवं पर्यावरण सत्र में एरिक सोहेम (नार्वे) होंगे शामिल
विमर्श सभा में देश- दुनिया के विद्वान 5 प्रमुख विषयों पर अद्वैत दर्शन की प्रासंगिकता पर विमर्श करेंगे। 28 जनवरी को अद्वैत एवं पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व कार्यकारी निदेशक (पर्यावरण) एवं एकात्म धाम के एम्बेंसडर एरिक सोहेम, परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद मुनि, पद्मभूषण अनिल जोशी, 31 जनवरी को अद्वैत एवं विकास विषय पर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, एरिक सोहेम, 2 फरवरी को अद्वैत एवं शांति विषय पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक पद्मविभूषण श्री श्री रविशंकर, 4 फरवरी को अद्वैत एवं संस्कृति एवं 5 फरवरी को अद्वैत एवं विज्ञान विषय पर आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. कामकोटि, रामकृष्ण मिशन के स्वामी आत्मप्रियानंद, प्रो. मृत्युंजय गुहा सहित अनेक विषय विशेषज्ञ सम्मिलित होंगे।
शिविर में 25 से 27 जनवरी तक स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ‘कठोपनिषद’, 06 फरवरी को स्वामिनी विमलानंद सरस्वती एवं 07 फरवरी को स्वामी मित्रानंद सरस्वती आचार्य शंकर के जीवन दर्शन पर संवाद करेंगे। 6-7 फरवरी को ही शाम 6 बजे से अभिनेता नीतिश भारद्वाज एवं कोरियोग्राफर मैत्रेयी पहाड़ी ‘शंकर गाथा’ की प्रस्तुति देंगी। 8 से 12 फरवरी तक राम जन्म भूमि न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देव गिरि प्रतिदिन शंकरो लोकशंकर: आचार्य शंकर के जीवन प्रसंग पर कथा करेंगे।
‘एक ओंकार’ (Sounds of Oneness) में गूंजेगे एकात्मता के स्वर
सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रृंखला में ‘एक ओंकार’ के अंतर्गत अलंकार सिंह ‘गुरूवाणी’ में अद्वैत गायन, पद्मश्री मधुप मुद्गल ‘कबीर वाणी’ में अद्वैत गायन, जयतीर्थ ‘संत तुकाराम’ की वाणी में अद्वैत (अभँग) तथा रजनी गायत्री ‘शंकर स्त्रोतम्’ की प्रस्तुति देंगी। वैदिक अनुष्ठान के साथ ही प्रतिदिन 20 बटुक एवं आचार्य वेद एवं भाष्य पारायण करेंगे।
ज्ञात हो कि यह महाकुंभ पूर्व से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण तक आचार्य शंकर द्वारा स्थापित सांस्कृतिक एकता का साक्षी बने इसी भाव के साथ संन्यास परम्परा के विराट उत्सव के रूप में युग-युगीन सनातन ज्ञान-परम्परा के इस प्रकट-प्रभावी उत्सव में एकात्म धाम शिविर आयोजित है।