ऊर्जा हमारे जीवन की अनिवार्य आवयकता है। ऊर्जा ने विभिन्न रूपों में हमारी जीवन-शैली में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। इन विभिन्न रूपों में बिजली ऊर्जा का वह प्रकार है जो सबको सुगमता से हर कहीं उपलब्ध और सुलभ है। यही कारण है कि ऊर्जा के विभिन्न स्त्रोतों को भी बिजली के रूप में बदलकर उसका उपयोग प्रकाश, यातायात, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, कृषि जैसी मूलभूत आवश्कताओं के साथ मनोरंजन, दूरसंचार एवं पर्यटन जैसे सुख-साधन में भी किया जा रहा है।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के कार्मिकों को प्रबंध संचालक गणेश शंकर मिश्रा ने संदेश देते हुए कहा कि वैश्वीकरण के दौर में हमारी जीवन-शैली में तेजी से बदलाव हो रहा है। उदाहरण के रूप में जो काम हम दिन के उजाले में सरलता से कर सकते हैं उन्हें भी हम देर रात तक बिजली की व्यवस्था करके करते हैं, जैसे कि क्रिकेट का खेल, विभिन्न सामाजिक समारोह आदि।
उन्होंने कहा कि और तो और हम अपने कार्यालयों में बड़े-बड़े पर्दे लगाकर प्राकृतिक प्रकाश में काम करने के बजाए बिजली का उपयोग प्रकाश के लिए कर रहे हैं। हमारी दिनचर्या इस प्रकार बदलती जा रही है कि ऊर्जा की मांग भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, परंतु उसके एवज में ऊर्जा का उत्पादन भी उसी गति से बढ़ना संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे ऊर्जा की मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़ता जा रहा है।
प्रबंध संचालक मिश्रा ने बताया है कि ऊर्जा बचत और ऊर्जा दक्षता के लाभों को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने मध्यप्रदेश में ऊर्जा संरक्षण के विभिन्न उपाय लागू करने के लिए दिशा-निर्देश और अधिसूचनाएँ जारी की हैं। भारत शासन के ऊर्जा मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी निकाय ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा बचत को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ प्रारंभ की हैं।
उन्होंने बताया कि ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा विभिन्न उपकरणों में ऊर्जा दक्षता की रेटिंग के लिए बीईई स्टार लेबल जारी किए हैं। यह स्टार लेबल ऊर्जा दक्षता के रेटिंग के मानकीकरण और मानक परीक्षण परिस्थितियों में ऊर्जा की खपत को इंगित करने के लिए बनाये गये हैं। रेफ्रिजरेटर, एसी तथा अन्य ऊर्जा उपकरण खरीदते समय आपने इन बीईई स्टार लेबल को अवश्य देखा होगा। पॉंच स्टार का मतलब सबसे अधिक ऊर्जा दक्ष उपकरण और उससे कम स्टार पर उससे कम दक्ष उपकरण। अधिक ऊर्जा दक्ष उपकरण से ऊर्जा खपत में कमी कर पैसा बचाया जा सकता है।
एमडी मिश्रा ने बताया है कि मध्यप्रदेश में लगभग 1 करोड़ 20 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं, जिनकी औसत मासिक खपत 85 यूनिट है। यदि प्रत्येक उपभोक्ता प्रतिदिन सामान्य ऊर्जा बचत उपायों का प्रयोग करें तो कम से कम 1 यूनिट बिजली प्रतिदिन बचायी जा सकती है। प्रतिदिन 1 यूनिट बिजली की बचत का मतलब है कि 1 किलो कोयले की बचत। दूसरे शब्दों में कहें तो यदि उपभोक्ता 1 वर्ष में मात्र 50 वॉट खपत भी कम कर लेता है तो इससे प्रतिवर्ष 110 किलो कोयला बचाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि एक अनुमान के अनुसार विद्युत के गुणवत्तापूर्ण उपयोग, उचित प्रबंधन और अनावश्यक उपयोग पर अंकुश लगाकर औद्योगिक क्षेत्र में 20 से 25 प्रतिशत, कृषि क्षेत्र में 25 से 30 प्रतिशत तथा घरेलू एवं वाणिज्यिक क्षेत्र में 15 से 20 प्रतिशत तक बिजली की बचत की जा सकती है। यदि हम ऊर्जा हानियों में कमी ला सकें और उपभोक्ताओं को ऊर्जा संरक्षण के लिए प्रेरित कर सकें, तो विद्युत की मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटना कठिन नहीं होगा।