भोपाल (हि.स.)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की रात हुई दुनिया की सबसे भीषणतम औद्योगिक त्रासदी “भोपाल गैस कांड” के बाद से यूनियन कार्बाइड कारखाने में पिछले 40 वर्षों से डम्प पड़े जहरीले रासायनिक कचरे की आखिरकार शिफ्टिंग हो गई है। इस कचरे का निष्पादन पीथमपुर के रामकी संयत्र में किया जाएगा। इसके लिए बुधवार रात करीब सवा नौ बजे 12 कंटेनर 337 मीट्रिक टन कचरा लेकर पीथमपुर की ओर कड़ी सुरक्षा के साथ रवाना किया गया। इस काफिले को अबाध गंतव्य तक पहुंचाने के लिए भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र तक के 250 किलोमीटर रास्ते को ग्रीन कारीडोर में बदला गया।
जिस इलाके से काफिला गुजरा, वहां ट्रैफिक बंद कर दिया गया। काफिला गुजर जाने के बाद ही यातायात सामान्य हुआ। कचरा भरे कंटेनर्स के आगे-पीछे दो किलोमीटर तक ट्रैफिक रोका गया। यह व्यवस्था पूरे रूट पर बनाई गई थी। कंटेनर्स के आगे पुलिस की पांच गाड़ियां चल रही थी। यह 337 टन जहरीला कचरा पांच जिलों से होकर गुजरा। भोपाल से यूनियन कार्बाइड कारखाने का जहरीला कचरा लेकर निकले विशेष कंटेनर लगभग 40 से 50 किमी प्रति घंटा की स्पीड से आगे बढ़े। रास्ते में कुछ देर के लिए रोका भी गया। कंटेनर्स के साथ पुलिस सुरक्षा बल, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और क्विक रिस्पॉन्स टीम मौजूद थी। हर कंटेनर में दो ड्राइवर थे।
गौरतलब है कि यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़े जहरीले कचरे की शिफ्टिंग की प्रक्रिया रविवार को दोपहर से शुरू हुई थी। चार दिन तक 337 मीट्रिक टन कचरा बैग्स में पैक किया गया। मंगलवार रात से इसे कंटेनर्स में लोड करना शुरू किया। बुधवार दोपहर तक लोडिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली गई और रात में इसे पीथमपुर की ओर रवाना किया गया। यूनियन कार्बाइड के इस रासायनिक कचरे को पीथमपुर की रामकी एनवायरो कंपनी में जलाया जाएगा। कचरे को ले जाते समय 100 पुलिसकर्मी तैनात रहे।
मप्र में औद्योगिक इकाइयों में निकलने वाले रासायनिक और अन्य अपशिष्ट के निष्पादन के लिए धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट है। यहां पर कचरे को जलाने काम किया जाता है। यह प्लांट सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशानुसार संचालित है। पीथमपुर स्थित इंसीरेनेटर में 13 अगस्त 2015 को भी यूनियन कार्बाइड से 10 मीट्रिक टन जहरीला कचरा निष्पादन के लिए भेजा गया था। तब ट्रायल रन के तौर पर तीन दिन इसे जलाया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रायल रन के दौरान इंसीरेनेटर में हर घंटे 90 किलो कचरा जलाया गया था। इसी ट्रायल रन रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने अब राज्य सरकार को यूनियन कार्बाइड कारखाने में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का निपटान पीथमपुर में करने के निर्देश दिए।
रामकी संयत्र प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित, कचरे की डंपिंग से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
पीथमपुर के रामकी संयंत्र में भोपाल के यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने का विरोध हो रहा है। 3 जनवरी को पीथमपुर महाबंद का आह्वान किया गया। इसको देखते हुए प्रशासन ने रामकी संयत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया है। वहीं, विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इस प्रक्रिया के दौरान जो अधिकारी और कर्मचारी तैनात रहेंगे, उनके लिए होटल में कमरे बुक किए गए हैं। होटल अधिग्रहण की स्थिति बनी है। फिलहाल 150 से अधिक पुलिस अधिकारी और कर्मचारी पीथमपुर पहुंच चुके हैं, जो यहां पर आगामी प्रक्रिया होने तक तैनात रहेंगे। वहीं, रामकी संयंत्र की बाउंड्रीवाल को बढ़ाया जा रहा है। सुरक्षा के लिए खंती भी खोदी जा रही है। इस तरह की कई व्यवस्थाएं रात-दिन की जा रही हैं और इन व्यवस्थाओं को बढ़ाया जा रहा है।
बुधवार को विभिन्न संगठनों के साथ सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें 3 जनवरी को पूरा पीथमपुर बंद रखने का निर्णय लिया गया। तय किया गया कि बंद के आह्वान के लिए गुरुवार को दोपहर 1 बजे महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर एकत्रित होकर रैली निकाली जाएगी। बैठक में कांग्रेस भाजपा नेता भी शामिल हुए। वहीं, आंदोलनकारियों का एक दल दो जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जबलपुर हाई कोर्ट के आदेश पर रोक के लिए याचिका दायर की जाएगी। पीथमपुर बचाओ समिति के डा. हेमंत हिरोले और उनकी पूरी टीम दिल्ली पहुंच चुकी है, जहां पर कचरे को नष्ट करने के विरोध में दो जनवरी को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया जाएगा।