मध्यप्रदेश विद्युत कर्मचारी संघ फेडरेशन के महामंत्री राकेश डीपी पाठक ने कहा कि मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ दोनों राज्य सरकारों ने लाखों पेंशनर्स को मंहगाई राहत और पेंशनरों के परिवार को मिलने वाली मंहगाई राहत में फिर छल कर दिया।आज मध्यप्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार का 4 प्रतिशत की स्वीकृति का हवाला देते हुए मध्यप्रदेश के पेंशनर्स का 4 प्रतिशत मंहगाई राहत देने कुल 50 प्रतिशत मंहगाई राहत का भुगतान करने का आदेश जारी कर दिया लेकिन दोनों राज्यों की सरकारों ने चुप्पी साध कर पेंशनरों का 9 माह का एरियर फिर गायब कर दिया।
पेंशनर्स को मंहगाई राहत जनवरी 24 से न देकर अक्टूबर 24 से देने का आदेश जब पेंशनर्स को देखने मिला तो वे आश्चर्यचकित रह गए। आखिर पेंशनर्स को एरियर्स न देकर सरकारें कितनी अमीर हो जाएंगी। दोनों राज्य सरकारों के इस निर्णय से फिर से मध्यप्रदेश राज्य के लगभग पांच लाख से अधिक पेंशनरों और छत्तीसगढ़ के एक लाख से अधिक पेंशनरों के साथ छलावा हों गया है। दोनों राज्यों के पेंशनर्स फिर एरियर से वंचित कर दिए गए हैं। अर्थात सरकारों ने दोनों राज्यों के पेंशनर्स की दीपावली फीकी कर दी है।
मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन 2000 की धारा 49 के तहत मध्यप्रदेश को 74 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ को 26 प्रतिशत के अनुसार सभी 6 लाख पेंशनरों के लिए बजट का प्रावधान करना पड़ता है।
पहले हमेशा सरकार के नुमाइंदे कहते थे कि दूसरे राज्य में या केंद्र में हमारी सरकार नहीं है इसलिए इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा है। ऐसा अश्वासन देते 24 बर्ष बीत गए और दोनों पार्टियों की सरकार सिर्फ पेंशनर्स के साथ छलावा करतीं आ रही है। आज दोनों राज्यों में और केंद्र में एक ही पार्टी की ट्रिपल इंजन की सरकार है फिर भी पेंशनर्स की समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। इसलिए हर बार मंहगाई राहत और एरियर के नाम पर उनके साथ सिर्फ छलावा होता आ रहा है।
आज समय आ गया है जब दोनों राज्यों के सभी पेंशनर्स एसोसिएशन, संघ, सभी अभियंता संघ, सभी डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ, सभी स्तर के अधिकारी, कर्मचारी संघों को एक मंच पर आकर ठोस दमदार रणनीति बनाकर सामूहिक रूप से दोनों राज्यों में सत्याग्रह चलाना चाहिए और इसका स्थाई हल कराकर ही मानना चाहिए।