मध्य प्रदेश के बिजली कंपनियों के द्वारा 2012 के पूर्व हुई कार्मिकों की मृत्यु को लेकर बनाई गई अनुकंपा नियुक्ति नीति में मृत्यु के कारणों को लेकर अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति देने के नाम पर मौतों का बंटवारा कर अपने असंवेदनशील और अमानवीय चेहरे को उजागर कर दिया था, वहीं अब कंपनी प्रबंधन की गिद्ध दृष्टि शोषित और पीड़ित आउटसोर्स मीटर रीडर पर पड़ गई है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश की मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन के द्वारा एक सर्कुलर निकालते हुए आउटसोर्स पर रखे गए मीटर रीडर्स को लगभग चेतावनी भरे अंदाज में कहा गया है कि अगर मीटर रीडर्स ने रीडिंग के साथ राजस्व वसूली का भी लक्ष्य पूरा नहीं किया तो उनका वेतन काट लिया जायेगा। मीटर रीडिंग के लिए रखे गए मीटर रीडर्स का मूल कार्य रीडिंग करना है, न कि राजस्व वसूली। मीटर रीडर्स को वेतन भी उनके मूल कार्य के लिए दिया जाता है, ऐसे में अन्य कार्य का लक्ष्य का भार डालकर उसके नाम पर उनका मूल वेतन काट लेना अन्यायपूर्ण होने के साथ ही क्रूरता भी है, जबकि मीटर रीडर्स को सौंपे गए अन्य कार्य के लिए स्थाई रूप से कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है।
इस संबंध में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि किसी भी वर्ग के कर्मचारी जिस कार्य के लिए रखे गए हैं, उनसे वही कार्य कराया जाए, अगर अन्य कार्य की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो उस कार्य के लिए तय लक्ष्य के पूर्ण नहीं होने पर मूल कार्य के वेतन से इसके लिए कटौती नहीं की जानी चाहिए। ये न केवल अमानवीय है, अपितु इससे श्रम नियमों का उल्लंघन भी होता है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि मीटर रीडर्स को मीटर रीडिंग के लिए रखा गया है, न कि राजस्व वसूली के लिए। मीटर रीडर्स का मूल कार्य मीटर रीडिंग है, लेकिन राजस्व वसूली कराए जाने पर भी आपत्ति नहीं है, मगर ऐसी स्थिति में अगर मीटर रीडर्स के द्वारा उनका मूल कार्य पूर्ण किया जा रहा है तो राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा नहीं करने के नाम पर वेतन कटौती नहीं की जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने मांग की है कि 2012 के पूर्व और 2012 के बाद वर्तमान में सभी बिजली कंपनियों में नौकरी के दौरान मृत हुए नियमित, संविदा तथा आउटसोर्स कर्मियों के आश्रितों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।