मध्य प्रदेश में रिश्वत लेने के आरोपी को ही विधि प्रकोष्ठ का प्रभारी बनाए जाने का अजब मामला सामने आया आया है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि 12 अक्टूबर 2021 को तत्कालीन संयुक्त संचालक लोक शिक्षण जबलपुर संभाग जबलपुर के प्रभारी संयुक्त संचालक राममोहन तिवारी अपने कार्यालय की चौकीदार अनीशा बाई से 21,000 रुपए रिश्वत की मांग कर रहे थे, चौकीदार महिला द्वारा जिसकी शिकायत लोकायुक्त जबलपुर से की गई थी, उक्त शिकायत पर लोकायुक्त जबलपुर दल द्वारा कार्यालय के दो लिपिकों सहित प्रभारी संयुक्त संचालक लोक शिक्षण राममोहन तिवारी को आरोपी बनाते हुए भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 एवं 13 (1) डी, 13 (2) के तहत् प्रकरण पंजीबद्ध कर गिरफ्तार किया जाकर मौके पर ही जमानत पर छोड़ा गया है।
शिक्षा विभाग में इतने बड़े पद पर आसीन अधिकारी के भ्रष्टाचार के मामले में प्रकरण दर्ज होने के लगभग 21 महीनों के बाद भी लोकायुक्त द्वारा आज तक न्यायालय में चालान प्रस्तुत नहीं किया गया है। हद तो यह है कि भ्रष्टाचारी को शिक्षा विभाग द्वारा उनके पदीय दायित्वों के साथ-साथ संयुक्त संचालक लोक शिक्षण विधि प्रकोष्ठ का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा दिया गया है। भ्रष्टाचार के मामले में ट्रैप अधिकारी को संयुक्त संचालक विधि प्रकोष्ठ का प्रभार दिया जाना समझ से परे है। जो प्रदेश के मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति के भी विपरीत है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, एसके बांदिल, रजनीश तिवारी, बृजेश मिश्रा, पवन श्रीवास्तव, एसके त्रिपाठी, सुधीर पण्डया, चंदु जाउलकर, उमेश पारखी, विट्टू आहलूबालिया, शंकर भाई, अंकुर प्रताप सिंह आदि ने प्रदेश के गृहमंत्री को ई-मेल के माध्यम से पत्र प्रस्तुत कर मांग की है कि तत्कालीन प्रभारी संयुक्त संचालक राममोहन तिवारी के विरुद्ध दर्ज भ्रष्टाचार के प्रकरण में न्यायालय में चालान पेश कराने की कार्यवाही की जावे।