Monday, October 21, 2024
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बिजली कंपनी की मनमानी: संविदा लाइन कर्मचारियों की जान की कीमत शून्य

बिजली कंपनी प्रबंधन न ही सरकार के आदेश और नियम-कायदे मानता है और न ही अपने स्वयं के आदेशों और नियमों का पालन करता है। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने सभी बिजली कंपनियों के प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए बताया कि करंट का कार्य करने वाले संविदा लाइन कर्मचारियों को जोखिम भत्ता नहीं दिया जाता, जबकि जबकि आउटसोर्स और नियमित कर्मियों को दिए जाने वाले जोखिम की प्रक्रिया और राशि में काफी विसंगति है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली कंपनी के नियमित कर्मचारियों को पिछले लगभग कई वर्षों से सिर्फ 150 रुपये जोखिम भत्ता दिया जा रहा है, क्या कंपनी प्रबंधन नियमित लाइनकर्मी की जान की कीमत सिर्फ 150 रुपये और संविदा लाइन कर्मचारियों की जान की कीमत शून्य आंकता है? वहीं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद आउटसोर्स कर्मियों को 1000 रुपये जोखिम भत्ता दिया जा रहा है, लेकिन इसमें भी अधिकारी मनमानी करते हुए जोखिम का कार्य करने वाले सभी आउटसोर्स कर्मियों को जोखिम भत्ते का भुगतान नहीं कर रहे हैं।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि आउटसोर्स एवं नियमित कर्मचारियों के जोखिम भत्ते में काफी अंतर है, वहीं संविदा कर्मचारियों को जोखिम भत्ता दिया ही नहीं जा रहा है। जोखिम का एक जैसा कार्य करने वाले कर्मचारियों के जोखिम भत्ते की विसंगतियों को दूर कर एकरूपता लाने के लिए ऊर्जा विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी को पत्र लिखा गया है।

संघ के शशि उपाध्याय, जेके कोस्टा, राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, अमीन अंसारी, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, राहुल दुबे, संदीप यादव, पवन यादव, संदीप दीपांकर, विनोद दास, मदन पटेल, दशरथ शर्मा, महेश पटेल, अमित मेहरा, जगदीश मेहरा, आजाद सकवार आदि ने ऊर्जा विभाग से मांग की गई है कि संविदा कर्मियों को भी जोखिम भत्ता दिया जाए और आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों के जोखिम भत्ते में एकरूपता लाई जाए।

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