भोपाल (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का सर्वे मंगलवार को 54वें दिन भी जारी रहा। एएसआई के 12 अधिकारियों की टीम 39 श्रमिकों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। यहां टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।
ज्ञानव्यापी की तर्ज पर चल रहे एएसआई सर्वे के 54वें दिन भोजशाला में उत्तर दिशा में खुदाई के दौरान स्तंभों के दो पाषाण आधार मिले हैंं। अब एएसआई की टीम इन आधारों का परीक्षण करेगी और उनकी काल अवधि भी पता लगाएगी। भोजशाला के गर्भगृह क्षेत्र में भी आज खुदाई कार्य जारी रहा। मंगलवार को हिंदू समाज को भोजशाला में पूजा-अर्चना की अनुमति होती है। ऐसे में भोजशाला में सर्वे कार्य सुबह के सत्याग्रह के बाद भीतरी क्षेत्र में किया गया। जहां से दोनों पाषाण मिले हैं, उस क्षेत्र में मिट्टी हटाने सहित खुदाई कार्य किया गया।
गर्भगृह क्षेत्र में भी आज सभी ब्लॉकों में खुदाई कार्य हुआ। यहां पर जो दो दीवार मिली थीं, उसके आधार पर तलघर के होने का अनुमान लगाया गया है। इसी के चलते अधिक गहराई में खुदाई हो रही है। पिछले तीन-चार दिनों में मिले अवशेषों की क्लीनिंग और ब्रशिंग भी की गई। इसके अलावा उन अवशेषों को आज निकाल लिया और उन्हें सर्वे लिस्ट में शामिल किया गया है।
सर्वे टीम के साथ मौजूद रहे हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि आधार स्तंभ मिलने से स्पष्ट है कि आक्रांताओं ने भोजशाला के मूल स्वरूप से काफी छेड़छाड़ की है। अब भोजशाला का सच सामने आएगा और अपने गौरव की पुनर्स्थापना के साथ भोजशाला मंदिर के रूप में स्थापित होगी।
विहिप प्रांत संगठन मंत्री ने सर्वे का लिया जायजा
मंगलवार को विहिप के प्रांत संगठन मंत्री खगेंद्र भार्गव, इंदौर के विभाग मंत्री यश बच्चानी और हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से अभिभाषक विनय जोशी भोजशाला पहुंचे और सर्वे का जायजा लिया।
गौरतलब है कि 2003 में न्यायालय के आदेश के बाद प्रति मंगलवार हिंदू समाज को भोजशाला में पूजा का अधिकार है। भोजशाला के गौरव की पुनर्स्थापना को लेकर यहां पर सत्याग्रह किया जाता है। आज सुबह बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोग दर्शन के लिए पहुंचे। गर्भगृह में मां वाग्देवी व भगवान हनुमान का तेल चित्र रखकर पूजा अर्चना की गई। इसके बाद सरस्वती वंदना, हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए महाआरती भी की गई।