भोपाल (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार देर शाम मंत्रालय में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई, जिसमें प्रदेश के हित में कई अहम निर्णय लिए गए। मंत्रि-परिषद द्वारा घाटे से जूझ रही विद्युत वितरण कंपनियों की आर्थिक स्थिति सुधारने को लेकर भी बड़ा फैसला लिया है।
सरकार ने तय किया है कि आरडीएसएस योजना के अंतर्गत छह हजार करोड़ रुपये से अधिक का राज्य अंश कंपनियों को लोन के बदले अंश पूंजी के रूप में दिया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि विद्युत वितरण कंपनियों का ऋण और ब्याज का भार कम होगा।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने बैठक के बाद मंत्रि-परिषद द्वारा लिए गए निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंत्रि-परिषद द्वारा भारत सरकार द्वारा जारी रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) अंतर्गत विद्युत वितरण कम्पनियों को राज्यांश 40% राशि लगभग 6 हजार करोड़ रुपये ऋण के स्थान पर अंशपूंजी/अनुदान के रूप में प्रदान करने की स्वीकृति दी गयी है।
निर्णय अनुसार राज्य की विद्युत वितरण कंपनियों को वितरण अधोसंरचना के उन्नयन, वितरण हानियों में कमी तथा वितरण प्रणाली सुदृढीकरण एवं आधुनिकीकरण से संबंधित बुनियादी अधोसंरचना के निर्माण/विकास कार्यों के लिए राज्यांश की राशि ऋण के स्थान पर राज्य शासन द्वारा अंश पूंजी के रूप में प्रदान की जाएगी।
योजनांतर्गत वितरण कंपनियों को अद्यतन ऋण के रूप में दिये गये राज्यांश को भी अंश पूंजी में परिवर्तित किया जायेगा। योजनांतर्गत केन्द्रांश पर देय एसजीएसटी की राशि भी राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाई जाएगी। इससे प्रदेश में स्थापित होने वाले स्मार्ट मीटर के कार्य में तेजी आयेगी।
उल्लेखनीय है कि उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण व विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति के उद्देश्य से वित्तीय रूप से साध्य एवं परिचालन में दक्ष वितरण क्षेत्र विकसित करने के लिए आरडीएसएस लागू की गयी है। योजना में केन्द्र सरकार द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों को प्री-पेड स्मार्ट मीटर व सिस्टम मीटरिंग के लिए 15% राशि और विद्युत अधोसंरचनात्मक विकास के लिए 60% राशि अनुदान के रूप में प्रदान किये जाने का प्रावधान है। शेष 40 प्रतिशत राशि राज्य शासन द्वारा अंश पूंजी के रूप में प्रदान की जाएगी।