Friday, December 27, 2024
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भोजशाला विवादः हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी, सभी पक्षकारों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा

इंदौर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में धार की ऐतिहासिक भोजशाला मामले में सोमवार को मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में सुनवाई पुरी हो गई है। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखने की बात कही। कुछ पक्षकारों ने कोर्ट को बताया कि एएसआई ने अब तक हमें सर्वे रिपोर्ट की कॉपी नहीं दी है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आपको स्पष्ट कहा था कि सभी पक्षकारों को सर्वे रिपोर्ट की कॉपी देना है। आप दे दीजिए। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले को आगे बढ़ा दिया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर स्टे लगा हुआ है, इसलिए हाई कोर्ट सभी पक्षों को सुनने की स्थिति में तब तक नहीं रहेगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट अपना स्टे नहीं हटाता।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 30 जुलाई को होगी। मुस्लिम पक्ष के वकील सलमान खुर्शीद ने हाई कोर्ट से मांग की कि रिपोर्ट बड़ी होने के कारण चार हफ्ते का समय दिया जाए। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्टे हटने के बाद ही आगे की कार्यवाही होगी।

इंदौर हाई कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान मौलाना कलामुद्ददीन वेलफेयर सोसायटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ऑनलाइन उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट बहुत विस्तार में है। हमें इसका अध्ययन करने के लिए समय दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होना है। इसलिए हाई कोर्ट में सुनवाई चार सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दी जाए, तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी आ जाएगा। हम सर्वे रिपोर्ट का अध्ययन भी कर लेंगे।

सुनवाई में हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की तरफ से ऑनलाइन उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कोर्ट को बताया कि हमने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन देकर एक अप्रैल 2024 को दिए स्टे को निरस्त करने की मांग की है। इस आवेदन पर दो सप्ताह के भीतर सुनवाई होने की संभावना है। सुनवाई के दौरान दरगाह की तरफ से उपस्थित हुए वकील ने कहा कि हमें अब तक कापी नहीं मिली है। इस पर एएसआई के वकील हिमांशु जोशी ने कोर्ट को बताया कि वे याचिकाओं में पक्षकार ही नहीं है। इस पर कोर्ट ने जोशी की बात स्वीकार कर ली और कहा कि जो पक्षकार हैं, उन्हें कापी अनिवार्य रूप से दे दें।

कोर्ट ने सभी पक्षकारों को सुनने के बाद कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हमें वहां के आदेश का इंतजार करना चाहिए। हम इस मामले में जल्द ही आदेश जारी करेंगे।

गौरलतब है कि हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के निर्देश पर एएसआई की टीम ने भोजशाला में लगातार 98 दिन सर्वे किया। 11 मार्च से शुरू हुआ यह सर्वे 27 जून को पूरा हुआ था। इसके बाद एएसआई ने भोजशाला की सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई को इंदौर हाई कोर्ट में पेश की थी। इसे लेकर याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने बताया था कि हिन्दू फॉर जस्टिस इस कानूनी लड़ाई को लड़ रहा है। एएसआई का सर्वे 98 दिन बिना छुट्टी के चला। एएसआई की रिपोर्ट 2000 से अधिक पेज की है। उसकी टीम ने भोजशाला और इसके आसपास के 50 मीटर के दायरे में यह सर्वे किया है। टीम के साथ मजदूरों और हिंदू-मुस्लिम पक्षकार को अंदर जाने की अनुमति थी। टीम ने सर्वे के दौरान यहां फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी कराई है।

ये है भोजशाला का विवाद

हिंदू संगठनों का दावा है कि भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर है जबकि मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है। भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन एएसआई का संरक्षित स्मारक है। एएसआई के सात अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है। इस मामले में हिन्दू पक्ष ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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