भोपाल, 25 मई (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग का सर्वे शनिवार को 65वें दिन भी जारी रहा। एएसआई के 18 अधिकारियों की टीम 40 श्रमिकों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। यहां टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।
ज्ञानव्यापी की तर्ज पर जारी सर्वे के 65वें दिन एएसआई की टीम को भोजशाला के उत्तरी भाग में मिट्टी हटाने के दौरान एक बड़ा शिलालेख मिला, जिस पर सूर्य के आठ प्रहर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। वहीं गर्भगृह में एएसआई की टीम में शनिवार को पहली बार ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) मशीन से सर्वे किया। यह कार्य जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआई) की टीम के सात सदस्यों की देखरेख में किया गया। मशीन चलाने के लिए चार एक्सपर्ट्स हैदराबाद से आए हैं। इस सर्वे के माध्यम से जमीन में दबे पुरा साक्ष्यों की पड़ताल की जा रही है। यज्ञकुंड के पास सर्वे करने के लिए मार्किंग की गई है।
मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने वैज्ञानिक सर्वे में जीपीआर और जीपीएस मशीन का उपयोग किए जाने का आदेश दिया था। भोजशाला में 22 मार्च से शुरू किए गए सर्वे में अभी तक मशीन से कार्य नहीं हो पाया था। शनिवार को जब एएसआई की टीम भोजशाला पहुंची, तभी ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) भी लाया गया। हैदराबाद से जीएसआई की टीम यहां पहुंची। इस टीम ने सबसे पहले गर्भगृह में छत के नीचे जहां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित थी, उस स्थान पर मशीन से सर्वे किया। इस मशीन के माध्यम से पक्के फर्श के नीचे करीब आठ से 10 मीटर और कच्चे फर्श में 40 मीटर तक की गहराई तक की जानकारी ली जा सकती है। परिसर में जीपीआर मशीन से सर्वे करने के लिए कई ब्लॉक बनाए गए हैं।
सर्वे टीम के साथ मौजूद रहे हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि शनिवार को जीपीआर मशीन से गर्भगृह के अंदर काम किया गया है। टीम ने बाहर के मैदान में ग्राफ बनाया है। कल यह मशीन बाहर की ओर काम करेगी। आज गर्भगृह के सामने की ओर मिट्टी हटाने का काम जारी रहा। उत्तर और दक्षिण दिशा में भी काम जारी रहा। उत्तरी भाग में मिट्टी हटाने के दौरान करीब एक बाई साढ़े तीन वर्ग फीट आकार का एक बड़ा शिलालेख मिला है, जिस पर सूर्य के आठ प्रहर स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। इस पर मंदिरों में बने चिह्नों की तरह कीर्ति चिह्न अंकित है। उन्होंने बताया कि सूर्य के आठों प्रहर की आकृति मंदिरों में अंकित रहती है। इस प्रकार की आकृति अवशेष पर है। इसी तरह की आकृति स्तंभों पर भी अंकित है। वही चिंह शिलालेख पर सीधी पट्टी में बने हुए हैं। टीम ने अवशेष को सुरक्षित कर लिया है।