जबलपुर (हि.स.)। प्रदेश में हुए कथित नर्सिंग फर्जीवाड़े से संबंधित मामले में एमपी हाईकोर्ट में 8 फरवरी को हुई सुनवाई के आदेश सोमवार की शाम को आने के बाद प्रदेश भर में हड़कंप मचा हुआ है। एमपी हाईकोर्ट ने लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की जनहित याचिका सहित अन्य मामलों पर सुनवाई कर सोमवार को जारी किए गये अपने विस्तृत आदेश के अनुसार प्रदेश में हुए नर्सिंग मान्यता फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच की रिपोर्ट में 308 नर्सिंग कॉलेजों में से 169 नर्सिंग कॉलेज पात्र पाए गए हैं, वहीं 74 नर्सिंग कॉलेज मानको को पूरा नहीं करते हुए एवं कमियों युक्त पाए गए हैं। इसी के साथ प्रदेशभर के 65 नर्सिंग कॉलेज लागू मापदंडों पर अपात्र पाए गए हैं।
एमपी हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए सीबीआई जांच में पात्र पाए गए 169 नर्सिंग कॉलेजों के आगे संचालन एवं उनके छात्रों की परीक्षा के रास्ते खोल दिए हैं, वहीं दूसरी ओर जिन 74 नर्सिंग कॉलेजों में सीबीआई की रिपोर्ट में कमियां पाई गई है, उनके लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई जाएगी जो कि कॉलेजों में पाई गई कमियों का अध्ययन कर अगर उनकी कमी पूर्ति समयावधि में की जा सकती है. तो इस संबंध में अपनी अनुशंसा हाइकोर्ट को प्रस्तुत करेगी। इसके साथ ही उन कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों को अन्यत्र किन कॉलेजों में स्थानांतरित किया जा सकता है। इस संबंध में भी अपनी अनुशंसा हाईकोर्ट को सौंपेगी।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि जो 65 कॉलेज सीबीआई की जांच में अपात्र पाए गए हैं उनमें प्रवेशित छात्रों एवं उन संस्थाओं के साथ कोई भी नरमी नहीं बरती जानी चाहिए बल्कि एवं इन नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिलाने में जिन- जिन अधिकारियों और निरीक्षण टीमों द्वारा गड़बड़ी की गई है उन पर भी सख्त कार्यवाही की जाएगी| हाईकोर्ट ने सीबीआई को प्रदेशभर में शेष बचे हुए समस्त नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के आदेश भी दिए हैं।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता द्वारा आवेदन पेश कर कोर्ट को बताया गया था की कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान भी अपात्र संस्थाओं को मान्यताएँ लगातार दी गई है ऐसे समस्त संस्थाओं के विरुद्ध कार्रवाई कर उनकी निरीक्षण रिपोर्ट देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी हाइकोर्ट ने कार्रवाई करने के आदेश सरकार को दिए हैं। सत्र 2023-24 की मान्यता के संबंध में पीपुल्स निजी विश्वविद्यालय की याचिका सरकार द्वारा नर्सिंग की मान्यता के लिए आवेदन मंगाए जाने हेतु पोर्टल नहीं खोले जाने को चुनौती दी गई थी जिस पर सरकार ने प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई जांच के लंबित रहने एवं इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा घोषित समयावधि गुजर जाने के कारण एवं पूरे मामले में हाइकोर्ट की मॉनीटरिंग होने के कारण नए सत्र की मान्यता प्रक्रिया हेतु पोर्टल नहीं खोले जाने का कारण बताते हुए जवाब दिया हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए पीपल्स निजी विश्वविद्यालय की याचिका खारिज कर दी। नर्सिंग से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई मंगलवार को होगी।