मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेंद्र दुबे एवं जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया है कि अधिकारियों के कार्यों के लिए किराए के वाहन लगाने में भी भारी विसंगतियां हैं। तीस दिन के लिए लगे किराए के वाहन को दो अधिकारियों को 15-15दिन उपयोग करना है। एक अधिकारी पंद्रह दिन ही वाहन उपयोग कर सकता है। कुछ विभागों में एक अधिकारी को दो या तीन कार्यालयों का प्रभार दिया गया है, जिनकी दूरियां भी अधिक होती है, तीस दिन सरकारी वाहन ना मिलने के कारण सरकारी कार्यों में प्रभाव पड़ता है।
अनुविभागीय अधिकारियों, कार्यपालन यंत्रियों, रेंजरों, बीईओ, स्वास्थ विभाग मलेरिया, हिरन जल संसाधन और लोक स्वास्थ यांत्रिकी, लोक निर्माण विभाग के अनेक अधिकारियों को एक माह में 15 दिनों के लिए किराए के वाहन लगाने की अनुमति दी गई है, टैक्सी परमिट का वाहन 15 दिनों के लिए मिलना मुस्किल हो रहा है, स्थल के अधिकारी को किराए के वाहन ना देकर कार्यालय में बैठने का आदेश देने से सरकारी योजनाओं को समय पर पूरा करने में भी प्रभाव पड़ रहा है। शासकीय वाहन पुराने होने के कारण उन्हें नीलाम कर दिया गया है, इस लिए प्राइवेट रूप से वाहन किराए पर लेना पड़ रहा है।
अधिकारियों को एक माह का वेतन दिया जाता है वह साइडों में कार्य भी 30 दिन करते है, लेकिन 15 दिनों के लिए किराए के वाहन लगाने दिया जाता है। क्या शासन यह मानता है कि अधिकारी कार्य केवल पंद्रह दिन ही करते है। आज लोक स्वास्थ यांत्रिकी, जल संसाधन, लोक निर्माण विभाग और वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी वाहन ना होने के कारण अपने कार्य स्थल में नहीं पहुंच पाते है। आज प्रमोशन ना होने के कारण एक अधिकारी अपने पद के कार्य के अतिरिक्त अन्य पदों के कार्य भी देख रहे है, लेकिन इन्हें कुछ भी अतिरिक्त सहूलियतें नहीं दी जा रही हैं।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, नरेश शुक्ला, विश्वदीप पटेरिया, योगेश चौघरी, संतोष मिश्रा, एसके बांदिल, संजय गुजराल, प्रशांत सोंधिया, देव दोनेरिया, रविकांत दहायत, सतीश उपाध्याय, अजय दुबे, लिपिक वर्ग के यूएस करोसिया, योगेन्द्र मिश्रा, धीरेंद्र सिंह, मुकेश मरकाम, आशुतोष तिवारी, चंदू जाऊलकर, नरेंद्र सेन, विनय नामदेव ने सभी अधिकारियों को माह में तीस दिन किराए के वाहन लगाने की अनुमति देने के आदेश जारी किए जाने की मांग की है।