मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियां इन दिनों विद्युत लाइनों, सबस्टेशनों के विस्तार के साथ ही आधुनिकीकरण भी कर रही हैं, लेकिन आधुनिक बिजली अधोसंरचना और उपभोक्ताओं की संख्या में हो रही वृद्धि के अनुपात में इनके रखरखाव एवं सेवाओं के लिए ट्रेंड नियमित कर्मियों की संख्या में इजाफा नहीं किया जा रहा है, बल्कि इसके उलट नियमित कर्मचारियों की संख्या में लगातार कमी होती जा रही है। जब अनुभवी और ट्रेंड कर्मचारी ही नहीं होंगे तो करोड़ों रुपए के इन अत्याधुनिक उपकरणों और लाइनों का रखरखाव कौन करेगा और करोड़ों की लागत से तैयार ये अधोसंरचना कहीं रखरखाव के अभाव में बेकार न हो जाए।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि करोड़ों की लागत से स्थापित की जा रही इस अत्याधुनिक अधोसंरचना को कहीं निजी क्षेत्र को सौंपने की साजिश तो नहीं की जा रही है, क्योंकि बिजली अधोसंरचना में हो रही वृद्धि के अनुपात में इनके रखरखाव के लिए ट्रेंड नियमित कर्मियों की भर्ती नहीं करना संदेह पैदा कर रहा है।
तकनीकी कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने कहा है कि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर के प्रबंध संचालक अमित तोमर के अनुसार उपभोक्ताओं के लिए 17 किलोमीटर लंबी अत्याधुनिक लाइनों का विस्तार किया जा रहा है, उसके लिए सभी की ओर से साधुवाद दिया जाता है। साथ ही संघ आपसे निवेदन करता है कि जिस तरह से कंपनी के द्वारा उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए 17 किलोमीटर की 33 केवी लाइनों का विस्तार करते हुए 17 मीटर ऊंचे मोनोपोल लगाकर पैंथर कंडक्टर तार लगाए गए हैं। उसी अनुपात में नियमित कर्मचारियों की भी भर्ती की जाए।
संघ मांग करता है कि प्रदेश के बिजली क्षेत्र में अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार किया जा रहा है, ये बहुत ही खुशी की बात है किंतु उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली 24 घंटे मिले, इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारी यानि कि तकनीकी कर्मचारियों की होती है। विद्युत लाइनों का मेंटेनेंस, उपभोक्ताओं की शिकायतों का निराकरण आदि के लिए नियमित कर्मचारियों की भर्ती करना चाहिए, जिससे उपभोक्ताओं को 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण सेवा मिल सके।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि विगत वर्षों में बिजली कंपनियों में सिर्फ संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों की ही भर्ती की गई है, जबकि दोनों वर्ग के कर्मचारियों को करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करने का अधिकार ही नहीं है। पर्याप्त संख्या में नियमित कर्मचारी नहीं होने से जमीनी अधिकारियों के द्वारा संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों पर दबाव डालकर करंट का कार्य कराया जाता है। इस वजह से सैकड़ो की तादाद में संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है। उनके परिवार के आश्रित को न अनुकंपा नियुक्ति मिली है और न ही मृत कर्मी का 20 लाख का बीमा किया गया था, जिससे उसके परिवार को आर्थिक संबल मिल सके।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि निर्णय लेकर 15 वर्षों से आपकी कंपनी में जो आउटसोर्स कर्मी कार्य कर रहे हैं, वे अनुभवी होने के साथ ही पूरी तरह ट्रेंड भी हो चुके हैं, इसलिए उन्हें ही नियमित कर करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करने का अधिकार दे देना चाहिए, ताकि लंबे समय तक बिजली तंत्र के सुचारू संचालन में कोई परेशानी न हो।