मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों का प्रबंधन अपने कार्मिकों के बीच लगातार भेदभाव कर रहा है। आउटसोर्स कर्मियों को अपना कर्मचारी नहीं मानने वाला बिजली कंपनी प्रबंधन अब संविदा कार्मिकों के साथ भी अनुचित व्यवहार करने लगा है।
खासतौर पर कभी संविदा नीति के झोल का फायदा उठाकर तो कभी मनमाने आदेश जारी कर बिजली कंपनी प्रबंधन सारी मानवता और संवेदना को ताक पर रखकर संविदा कार्मिकों का शोषण करने पर आमादा है और संविदा कार्मिकों को नियमित कर्मचारियों की भांति लाभ ही नहीं देना चाहता।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि संगठन के पदाधिकारियों की बैठक में तकनीकी कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान ये बात सामने आई कि संविदा कर्मचारियों के साथ हमेशा प्रबंधन के द्वारा अन्याय किया गया है।
उन्होंने बताया कि इसका ताजा उदाहरण है ये है कि सरकार द्वारा जनवरी 2023 से 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता वृद्धि के आदेश दिए गए थे। जिसमें एरियर्स की राशि को तीन समान किस्तों में प्रदान किया जाना था। अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर 2023 परंतु बाद में कंपनी द्वारा इस आदेश को संशोधित कर दिया और एरियर्स की राशि को सितंबर, अक्टूबर, नवंबर में दिया जाना था।
जिसमें बिजली कंपनी के अधिकारियों ने अपने नियमित कर्मचारियों के माह सितंबर 2023 के वेतन में तो एरियर की राशि को जोड़ दिया, लेकिन संविदा कर्मचारियों के वेतन में यह एरियर की राशि नहीं जोड़ी, जिससे संविदा विद्युत कर्मियों में हीन भावना उत्पन्न हो रही है कि बिजली अधिकारी हर हाल में नियमित कर्मियों की भांति लाभ वृद्धि देना ही नहीं चाहते।
संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन राजपूत, विनोद दास, इंद्रपाल सिंह, संदीप यादव, पवन यादव, विपतलाल विश्वकर्मा, राजेश शरण, पीके मिश्रा, राजेश यादव, संदीप दीपंकर, उत्तम पटेल, दशरथ शर्मा आदि ने मांग की है कि संविदा कर्मचारियों के साथ भेदभाव न किया जाए और कंपनी से प्राप्त लाभ उन्हें भी समय पर दिए जाएं।