मध्य प्रदेश के ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आने वाली बिजली कंपनियों के रिक्त पदों पर भर्ती से पहले अनुकंपा आश्रितों एवं आउटसोर्स कर्मियों को देनी चाहिए। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि ऊर्जा विभाग की बिजली कंपनियों में वर्ष 1997 से अनुकंपा आश्रित भटक रहे हैं। 1 सितंबर 2000 से विद्युत मंडल ने वित्तीय स्थिति खराब होने का हवाला देकर अनुकंपा नियुक्ति पर रोक लगा दी थी।
वहीं जब वर्ष 2014 में अनुकंपा आश्रितों के लिए ऊर्जा विभाग ने अनुकंपा नीति जारी की तो उसमें भी एक पेंच फंसा दिया कि 15 अक्टूबर 2000 से 10 अप्रैल 2012 के बीच जिनकी मृत्यु करंट लगकर या अन्य दुर्घटनाओं से हुई है उनके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देंगे, सामान्य मृत्यु के प्रकरण में अनुकंपा नियुक्ति नहीं देंगे।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली कंपनियों के कर्मचारी लगातार सेवानिवृत हो रहे हैं, पिछले 20 वर्षों में सभी कैडर के अधिकारियों-कर्मचारियों की अत्याधिक कमी हो गई है, जिसकी वजह से विद्युत तंत्र बुरी तरह लड़खड़ा रहा है।
लड़खड़ाते विद्युत तंत्र को संभालने रिक्त पदों पर नियमित लाइन कर्मचारियों के विरुद्ध बिजली कंपनियों में 50000 से ज्यादा आउटसोर्स कर्मियों को नियुक्त किया गया। बिजली कंपनियों में ये आउटसोर्स कर्मी नियमित लाइन कर्मचारियों की भांति करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कर रहे हैं, इस दौरान अनेक आउटसोर्स कर्मियों की मृत्यु हुई और अनेक दिव्यांग भी हुए, इसके बावजूद इन कर्मियों को न इलाज की सुविधा मिली न ही कैशलैस स्वास्थ्य बीमा कराया गया।
यही नहीं नियमित लाइन कर्मचारियों की भांति जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले इन आउटसोर्स कर्मियों को नियमित लाइन कर्मचारियों की तरह कोई सुविधा आज तक नहीं दी गई। हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि ऊर्जा विभाग बिजली कंपनियों के रिक्त पदों पर भर्ती करने से पहले अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति दे और आउटसोर्स कर्मियों संविलियन करे।
संघ के शंभूनाथ सिंह, रतिपाल यादव, राम केवल यादव, असलम खान, केएन लोखंडे, अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, संदीप यादव, पवन यादव, विनोद दास, राहुल दुबे, किशोर पांडे आदि ने ऊर्जा विभाग से मांग की है कि बिजली कंपनियों के रिक्त पदों पर भर्ती करने से पहले अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति दे और आउटसोर्स कर्मियों संविलियन करे।