बिजली कंपनी रातों-रात कृषि पम्पो के हार्स पावर बढाकर जबलपुर जिले के सैकड़ों किसानों को नोटिस भेज दिये। जिन किसानों के पास 2 हार्स पावर की मोटर है, उन्हें 5 हार्स पावर के, जिनके पास 5 की मोटर है उन्हें 7 हार्स पावर के और जिनके पास 7 हार्स पावर की मोटर है उन्हें 10 हार्स पावर की मोटर के बिल भरने के मैसेज मोबाइल पर भेजे गए हैं। मैसेज मिलते ही किसानों में हड़कंप मच गया है और किसान सकते मे आ गये। उन पर फिर से एक बार गाज गिर गई।
भारत कृषक समाज के केके अग्रवाल ने बताया की इसी तरह सन 2014 मे भी रातों-रात हजारों किसानों को बिल बढ़ा कर भेज दिये गये थे। जिसकी लम्बी लड़ाई लड़ी गई। किसान विद्युत उपभोक्ता फोरम, नियामक आयोग, लोकपाल तक गये, अंत: उन्हे न्याय मिला। बिजली कंपनी की सरकार से करोड़ों की सब्सिडी हड़प करने की साजिश नाकाम हुई।
केके अग्रवाल ने बताया की विद्युत एक्ट के अनुसार जिन किसानों के पास विद्युत मोटर के बिल उपलब्ध हैं और मोटर में ब्रांड और मोटर सीरियल नंबर की प्लेट लगी है उनके हार्स पावर नहीं बढ़ाए जा सकते। मोटर के हार्स पावर की जाँच भी साधारण मीटर से, मोटर फिटिंग के स्थान पर भिन्न-भिन्न वोल्टेज की स्थिति मे संभव नही है। शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्युत विभाग ने भी यह स्पस्ट किया है की मोटर की जाँच केवल लैब में ही संभव है।
नियमानुसार विद्युत एक्ट के तहत मोटरों की जाँच की प्रक्रिया पूर्ण किये बिना अचानक हार्स पावर बढ़ाया जाना हास्यस्पद है। किसान इसका तीब्र विरोध करेंगे। भारत कृषक समाज ने मुख्यमंत्री एवं विद्युत कंपनी के प्रबंध संचालक तथा नियामक आयोग के अध्यक्ष को पत्र के माध्यम से इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए इस तरह की अवैधानिक और बर्बर प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है।