मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर के प्रांतीय संयोजक व्हीकेएस परिहार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर विद्युत कंपनियों में लागू संविदा नीति 2018 में संशोधन करने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि विद्युत कंपनियों में वर्तमान में संविदा नीति-2018 लागू है जो 5 वर्ष के लिये थी एवं दिसम्बर 2022 में समाप्त हो गई है। इस संबंध में सभी कंपनियों द्वारा नीति में संशोधन हेतु सुझाव आमंत्रित किये थे, जिन्हें समय पर सभी कंपनियों को उपलब्ध करा दिये गये थे।
व्हीकेएस परिहार ने बताया कि लगभग तीन माह व्यतीत होने के उपरांत भी संशोधित संविदा नीति लागू न होने के कारण विद्युत कंपनियों में कार्यरत संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। फोरम के संज्ञान में आया है कि उक्त संशोधित नीति का प्रारूप ऊर्जा विभाग में लंबित है। उन्होंने मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से अनुरोध किया है कि संविदा कर्मियों के समग्र हितों को देखते हुये उक्त नीति को अविलंब लागू करने हेतु संबंधितों को निर्देशित करें।
यूनाइटेड फोरम ने संविदा नीति में संशोधन हेतु सुझाव दिया है कि संविदा में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने जिनके द्वारा 5 वर्ष या उससे अधिक की सेवा पूर्ण कर ली है एवं कार्य मूल्यांकन संतोषजनक है, उन्हें संगठनात्मक संरचना में रिक्त पदों पर प्रति वर्ष नियमित करने का प्रावधान किया जाये। विद्युत कंपनियों में कर्मचारियों के साथ-साथ बहुतायत में संविदा सहायक एवं कनिष्ट यंत्री पदस्थ हैं, जो लगभग 6-10 वर्षों से संविदा में कार्य कर रहे है एवं सभी जगह में कार्य कर रहे है। उनका अनुभव किसी भी नये सहायक एवं कनिष्ट यंत्री से ज्यादा कंपनी के लिये लाभदायक होगा। अत: इनको नियमित किया जाना न्यायोचित होगा।
विद्युत कंपनियों में कर्मचारियों की कमी के कारण अनुबंध रिन्यू किये जाने के तीन दिवस में भी विद्युत संविदा कर्मी दबाववश कार्य करने हेतु मजबूर होते हैं, जिसमें किसी भी दुर्घटना की जवाबदारी उनकी स्वयं की होती है। कुछ क्षेत्रों में रिर्पोटिंग अधिकारी व्यक्तिगत कारणों से उक्त नियम की अवहेलना करते हुए तीन दिवस के स्थान पर 15 दिन भी कर्मचारी को लगातार परेशान करने के पश्चात नवीन अनुबंध करवाते हैं, यह भी देखा गया है कि बिना किसी समुचित कारण के कारण बताओं नोटिस देकर अनुबंधों को लंबित रखा गया है, जबकि संविदा नीति-2018 में इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है। अत: जब संविदा नीति के बिन्दु 5.1.2 में 60 वर्ष तक की आयु में कार्य करने का प्रावधान दिया गया है एवं वर्तमान में कार्यरत विद्युत संविदा कर्मी वर्षों से कार्यरत हैं इसलिए मध्य प्रदेश की वर्तमान सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष तक का एक अनुबंध कराया जाना उचित होगा।
संविदा नीति 2018 के अनुसार संविदा कर्मी जो किन्ही प्रकरणों में दोषी होने के पश्चात नियमित कर्मचारी की ही भांति कार्यवाही के पात्र होते हैं, किंतु नियम संशोधित संविदा नीति 2018 उल्लेखित होना आवश्यक है। अधिकांश क्षेत्रों में उनके ऊपर मनमानीपूर्ण कार्यवाही की जाती है, जिसमें उनकी गोपनीय चरित्रावली खराब कर सेवा से निष्कासित कर दिया जाता है, जो कि उक्त नीति के नियमों की अवहेलना है। अतः उक्त नियम में संशोधन कर निष्कासन के स्थान पर नियमित कर्मी की भांति दोष सिद्ध होने पर निलंबन एवं अन्य कार्यवाही की जाए।
संविदा नीति में विद्युत संविदा कर्मियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति, पेंशन, बीमा, अनुकंपा नियुक्ति एवं घातक-अघातक आर्थिक सहायता का प्रावधान नहीं है। वहीं संविदा कर्मियों को वर्ष में केवल एक बार महंगाई भत्ता दिया जाता है एवं नीति के अनुसार वर्ष में केवल 1 प्रतिशत वेतन वृद्धि स्थिर राशि से निकाल कर मूल वेतन में जोड़ दिया जाता है। इसके अलावा जोखिम भत्ता, रात्रिकालीन भत्ता, राष्ट्रीय त्योहार भत्ता, आवास भत्ता दिए जाने का प्रावधान नहीं है, अत: इस नीति में संशोधन किया जाना आवश्यक है। विद्युत संविदा कर्मी राज्य शासन अंतर्गत बिजली कंपनियों के नियम के अनुसार कार्य करते हैं सेवा के दौरान स्वास्थ्य खराब होना, दुर्घटना होना आदि की जिम्मेदारी बिजली कंपनी की होती इसलिए विद्युत संविदा कर्मियों को भी चिकित्सा प्रतिपूर्ति, पेंशन, बीमा, अनुकंपा नियुक्ति एवं घातक एवं अघातक दुर्घटना में आर्थिक सहायता का प्रावधान किया जाये।
वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मी बिजली विभाग में नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों का कार्य संभाल रहे हैं आज भी संविदा कर्मी सहायक कि नहीं बल्कि मुख्य भूमिका में नियमित कर्मियों की कमी के कारण उनके स्थान पर संपूर्ण दायित्वों के साथ कार्यों का निष्पादन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में जहां नियमित कर्मियों को वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाता है तो वही संविदा कर्मियों को संविदा नीति 2018 के अनुसार वर्ष में केवल एक बार महंगाई भत्ता दिया जाता है। साथ ही नियमित कर्मियों को 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि मूल वेतन में जोड़ा जाता है तो वही संविदा कर्मियों को उक्त नीति के अनुसार वर्ष में केवल 1 प्रतिशत वेतन वृद्धि स्थिर राशि से निकाल कर मूल वेतन में जोड़ दिया जाता है जो कि संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है्र, जब जिम्मेदारियां समान, कार्य समान जोखिम समान, पद समान फिर भी यह भेदभाव नियम विरुद्ध है उक्त संशोधन भी नीति में आवश्यक है। अत: महंगाई भत्ता की घोषणा होने पर नियमित कर्मियों की भांति संविदा कर्मियों को भी महंगाई भत्ता घोषणा दिनांक से एरियर सहित दिया जाए एवं 1 प्रतिशत की दर से वार्षिक कार्यदक्षता वृद्धि को बढ़ाकर नियमित कर्मियों की भांति 3 प्रतिशत मूल वेतन में जोड़ा जायें।
आज विद्युत विभाग में विद्युत कर्मियों की इतनी कमी है की चाह कर भी संविदा कर्मियों के लिए कोई अलग से कार्यप्रणाली प्रायोगिक रूप से संभव नहीं है, जिस कारण विद्युत संविदा कर्मियों को नियमित कर्मियों की ही भांति खंभे पर चढ़कर जोखिम भरे कार्य पूर्ण करने होते हैं एवं नियमित कर्मियों की ही भांति उन्हें भी उपकेंद्रों एवं फ्यूज ऑफ कॉल पर रात्रि में ड्यूटी करनी होती है। राष्ट्रीय त्योहारों में भी नियमित कर्मियों की भांति विद्युत की व्यवस्था संभालनी होती है। इसलिए विद्युत संविदा कर्मियों को भी जोखिम भत्ता, रात्रिकालीन भत्ता राष्ट्रीय त्योहार भत्ता, आवास भत्ता दिए जाने हेतु उक्त नीति में संशोधन किया जाना आवश्यक है।
अभी संविदा नीति में एक्सीडेंटल बीमा का प्रावधान नहीं है. अत: नीति में आवश्यक संशोधन किया जाये। विद्युत संविदा कर्मी नियमित बिजली कर्मी के स्थान पर मुख्य भूमिका में कार्यों का निष्पादन कर रहे है जिसमें जोखिम में भी समानता है, अत: विद्युत संविदा कर्मियों का एक्सीडेंटल बीमा नियमित कर्मियों के समान किए जाने हेतु संशोधन संविदा नीति आवश्यक है।
महिला संविदा कार्मिकोंं को मध्य प्रदेश शासन की नीति के अनुसार प्रसूति अवकाश की पात्रता के अलावा संतान देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) की भी पात्रता होनी चाहिए, इसके साथ ही पुरुष संविदा कार्मिकों को 15 दिनों के पितृत्व अवकाश के लिए पात्र किये जाने संबंधी संशोधन आवश्यक है।
वर्तमान में संविदा कार्मिकों को आकस्मिक अवकाश के अलावा समानुपातिक आधार पर केवल 10 दिवस के चिकित्सा अवकाश की पात्रता है, जो उपयोग नहीं होने पर वर्षावधि उपरांत स्वत: ही काल कवलित हो जाते है। संविदा कार्मिकों के परिवार अथवा स्वयं के साथ आकस्मिक घटना अथवा आपातकालीन परिस्थितियों के घटित होने के कारण कार्य में अनुपस्थिति के दिनों को पर्याप्त मात्रा में अवकाश न होने के कारण अवैतनिक कर दिया जाता है, जिससे उन्हें आर्थिक एवं मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अत: संविदा कार्मिकों के वर्षावधि उपरांत, उपयोग नहीं किये गए (शेष) चिकित्सा अवकाश को आगामी वर्ष के संविदा कार्मिकों के अवकाश लेखे में जोड़े जाने का अनुरोध है, साथ ही संविदा कार्मिकों को नियमित कर्मियों की भांति प्रतिवर्ष 30 दिवस के अर्जित अवकाश की भी पात्रता प्रदान की जावे। इसके अलावा नियमित कर्मचारियों के समान संविदा कर्मियों को भी उच्च शिक्षा हेतु अनुमति देने संबंधी नियम का प्रावधान संविदा नीति में किया जाये।
प्रारंभ से ही पूर्व क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र कंपनियों के द्वारा विद्युत संविदा कर्मियों का एनपीएस काटा जा रहा था एवं मध्य क्षेत्र कंपनी के द्वारा ईपीएफ काटा जा रहा था, साथ ही ट्रांसमिशन कंपनी में किसी भी प्रकार की भविष्य निधि को सुरक्षित नहीं किया जा रहा था किंतु पूर्व क्षेत्र, पश्चिम क्षेत्र एवं ट्रांसमिशन कंपनी के द्वारा वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मियों के भविष्य को अंधकार में रखते हुए उनकी भविष्य निधि सुरक्षित नहीं की जा रही है जो कि केंद्र एवं राज्य सरकार के श्रमिक कानूनों का घोर उल्लंघन है, तत्काल सभी कंपनियों में शासन के अनुसार एनपीएस प्रणाली शुरू की जाए।
संविदा कर्मियों को संविदा नीति 2018 के अनुसार नियमित कर्मचारी के वेतन का 90 प्रतिशत वेतन दिए जाने का उल्लेख है, किंतु वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मियों को प्राप्त होने वाला वेतन 90 प्रतिशत से बहुत कम है, जिसमें सुधार कर संविदा नीति-2018 में संविदा कर्मियों के स्थिर बेसिक में 5 वर्ष का इंक्रीमेंट 5 प्रतिशत जोड़कर बेसिक निर्धारण किया जावें।्र
अधिकांश विद्युत संविदा कर्मचारी सैकड़ों किलोमीटर दूर आंशिक वेतन पर कार्य कर रहे हैं, जिससे वे न तो स्वयं का जीवन निर्वाह कर पा रहे हैं और न ही अपने बुजुर्ग माता-पिता एवं परिवार का भरण पोषण करने में भी सक्षम हैं। ऐसे विद्युत संविदा कर्मियों हेतु एक बार स्थानांतरण की प्रक्रिया आरंभ कर स्वेच्छा से गृह जिले या आसपास स्थानांतरित करवाने हेतु आवेदन स्वीकार कर स्थानांतरित किए जाने हेतु नीति बनाई जाए, जिससे सभी लोग अपना कार्य सुचारु रुप से कर सकें। इसके साथ ही तात्कालिक रूप से संविदा कर्मियों के लिए नियमित कर्मियों की भांति मध्यप्रदेश ऊर्जा विभाग की सभी कंपनियों में प्रतिनियुक्ति की व्यवस्था लागू की जावे। संविदा कर्मचारियों के सेवा अभिलेख के लिए नियमित कर्मचारियों की भांति संधारण की व्यवस्था लागू किया जाना चाहिए।