मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा कर जुलाई के महीने में प्रदेश के सभी शासकीय विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति लागू थी। जिसके बाद अनेक विभागों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मनपसंद जगहों पर स्थानांतरित होने का लाभ भी मिला।
लेकिन हर बार की तरह न केवल मप्र सरकार, अपितु विद्युत कंपनी प्रबंधन ने भी अपने संविदा कर्मचारियों को नज़रअंदाज़ कर दिया। प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत हज़ारों संविदा कर्मी ऐसे हैं, जो अपने घर-परिवार सैकड़ों किलोमीटर दूर रहने के लिए मजबूर हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि विद्युत विभाग के संविदा कर्मियों के साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है। प्रदेश में सभी विभागों में स्थानांतरण नीति लागू की जाती है, लेकिन विद्युत विभाग के संविदा कर्मियों को भुला दिया जाता है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने 6 मई 2021 को मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री, श्रम मंत्री एवं प्रमुख ऊर्जा सचिव को पत्र लिखकर मांग की थी कि विद्युत संविदा कर्मियों को भी एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्थानांतरण का विकल्प मिलना चाहिए।
उन्होंने बताया कि प्रदेश की विद्युत कंपनियों में ऐसे हजारों संविदा कर्मी कार्यरत हैं, जो अपने परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर नौकरी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविदा कर्मचारी अपने माता-पिता तथा पत्नी व बच्चों से दूर रहने पर मजबूर हैं, क्योंकि उनके एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्थानांतरण लेने का विकल्प नहीं है। इसे देखते हुए विद्युत विभाग के संविदा कर्मियों के लिए भी स्थानांतरण नीति लागू की जाए।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि इस कारण संविदा कर्मियों को घर आने-जाने में भी परेशानी होती है एवं ज्यादा पैसा भी खर्च होता है। संविदा कर्मियों को ज्यादा दिन की छुट्टी भी नहीं मिलती है, जिससे वे परिवार के साथ पर्याप्त समय बिता सकें। ऐसे में जो कर्मचारी स्वेच्छा से एक कंपनी से दूसरी कंपनी में जाना चाहते हैं, या फिर एक कंपनी के अंतर्गत अन्य शहर में स्थानांतरित होना चाहते हैं, उनसे ऑप्शन फार्म भरवा कर स्थानांतरण किया जाये।