मध्य प्रदेश की बिजली कंपनी यूं तो आउटसोर्स कर्मियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा करती है, लेकिन जैसे ही कोई हादसा होता है कंपनी प्रबंधन ठेकेदारों के आगे नतमस्तक होकर ठेकेदारों के कृत्यों की अनदेखी करने लगता है और कंपनी का कार्य करने वाले आउटसोर्स कर्मियों को उनके हाल में छोड़ देता है, जिससे आउटसोर्स कर्मी इलाज के लिए भी मोहताज हो जाते हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के उमरिया के अंतर्गत नरोजाबाद डीसी के कनिष्ठ अभियंता के द्वारा आउटसोर्स कर्मी ऑपरेटर उपेंद्र त्रिपाठी को 11 केवी लाइन में आए फाल्ट के सुधार का कार्य सौंपा गया था। आउटसोर्स कर्मी के द्वारा सप्लाई बंद करने के लिए 33*11 केवी सर्विस स्टेशन के अंदर डिस्चार्ज रॉड लगाते समय शॉर्ट सर्किट हो गया।
शॉर्ट सर्किट होते ही आउटसोर्स कर्मी के कपड़ों में आग लग गई और वो 62 प्रतिशत जल गया। हादसे समय मौजूद सहयोगियों के द्वारा तत्काल एंबुलेंस से लाकर आउटसोर्स कर्मी को जबलपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल के आईसीयू बर्न वार्ड में भर्ती कर दिया गया। गंभीर रूप से घायल होने के कारण आउटसोर्स कर्मी को अभी तक होश नहीं आया है।
तकनीकी कर्मचारी संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, इंद्रपाल सिंह, संदीप यादव, पवन यादव, राजेश यादव, दशरथ शर्मा, संदीप दीपंकर आदि ने कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि बिजली कंपनी के कार्य के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए आउटसोर्स कर्मी का इलाज कराने के लिए ठेकेदार को निर्देशित करे और कर्मी को सहायता राशि प्रदान की जाए।