एमपी के शासकीय कर्मचारियों की मांग: छत्तीसगढ़ की तर्ज पर हो वेतन वृद्धि

मध्य प्रदेश में विश्वव्यापी आपदा कोरोना महामारी की आड़ में जुलाई 2020 में मिलने वाली वार्षिक वेतन वृद्धि भी रोक दी गई थी, जिसे लगभग एक वर्ष पूर्ण होने जा रहा है। वर्तमान में महंगाई आसमान छू रही है, जबकि इसके विपरीत कर्मचारियों के वेतन में लगभग दो वर्षों से कोई वृद्धि नहीं हुई है, जिसका खामियाजा कर्मचारियों के साथ-साथ उनके आश्रित परिवार को भी भुगतना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ द्वारा अपने कर्मचारियों की वेतन वृद्धि बहाल कर 1 जुलाई तथा 1 जनवरी को देय वेतन वृद्धि यथासमय स्वीकृत कर भुगतान करने के आदेश जारी किये गये हैं। मध्य प्रदेश के कर्मचारी भी अपेक्षा कर रहे हैं कि पड़ोसी राज्य की तर्ज पर बहाल की गई वेतन वृद्धि का अनुसरण करते हुए प्रदेश के कर्मचारियों को भी वेतन वृद्धि बहाल कर एरिसर्य सहित भुगतान किया जाना चाहिए।

संघ के अटल उपाध्याय, रामशंकर शुक्ला, सुनील राय, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, आशुतोष तिवारी, डॉ संदीप नेमा, बालक पाण्डे, विपिन शर्मा, चंदू जाउलकर, विजय गौतम, गोविन्द विल्थरे, राजेश चतुर्वेदी, मनोज खन्ना, राकेश राव, सत्येन्द्र ठाकुर, विनोद पोद्दार, नितिन शर्मा, श्याम नारायण तिवारी, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, प्रियांशु शुक्ला, संतोष तिवारी, अभिषेक मिश्रा, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, प्रणव साहू, महेश कोरी, गणेश उपाध्याय, मनीष लोहिया आदि ने मुख्यमंत्री को ई-मेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की है कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की तर्ज पर राज्य के कर्मचारियों की वेतन वृद्धि बहाल कर एरिसर्य राशि का भुगतान कराने के आदेश जारी किये जाएं।