मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत लाइनमैनों को करंट के कार्य के लिए दिए जाने वाले सुरक्षा उपकरणों को लेकर तकनीकी कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि नियमित तकनीकी कर्मचारियों सहित संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों को करंट के कारण के दौरान वर्षों पुराने पैटर्न के ही सुरक्षा उपकरण दिये जाते हैं, जिससे तकनीकी कर्मचारियों के साथ आये दिन दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि 40 वर्ष पुराने जमाने के हैंड ग्लव्स में बदलाव किया जाए। मध्य प्रदेश के 52 जिलों की विद्युत व्यवस्था को चलायमान रखने में सबसे बड़ी भूमिका नियमित कर्मी, संविदा कर्मी और आउटसोर्स कर्मियों की होती है। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा करंट लगने की दुर्घटनाएं होती है, जिसकी वजह से हमेशा तकनीकी कर्मचारियों के दाहिना हाथ जलता है। विद्युत मंडल की कंपनियों में पुराने जमाने के हैंड ग्लव्स तकनीकी कर्मचारियों के द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि दोनों हाथ में पुराने समय के हैंड ग्लव्स पहनकर करंट का कार्य करते नहीं बनता है। ट्रांसफार्मर के नीचे लगे डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स में हमेशा सर्किट फ्यूज लगाते समय शॉर्ट सर्किट होने से हमेशा कर्मी का दाहिना हाथ जलता है। वह इसलिए क्योंकि हैंड ग्लब्स पहनकर सर्किट फ्यूज लगाते नहीं बनता है। कंपनी प्रबंधन को ऐसे हैंड ग्लब्स तकनीकी कर्मचारियों के लिए खरीदना चाहिए, जिन्हें दोनों हाथ में पहन कर आसानी से कार्य कर सकें एवं करंट लगने से भी बचा जा सके।
वहीं उपभोक्ता सेवा सर्वोपरि का ध्यान में रखते हुए छोटी-छोटी संकरी गली में जाने के लिए छोटी-छोटी हाइड्रोलिक गाड़ी खरीदना चाहिए, जिससे उपभोक्ताओं के घर में पहुंचकर बिजली का सुधार आसानी से किया जा सके। इसके अलावा तकनीकी कर्मचारियों को अच्छे से अच्छा रवर एंकर शू खरीद कर देना चाहिए, जिससे करंट से बचा जा सके। संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, टी डेविड, ख्याली राम, राम शंकर, राजेश यादव, सुरेंद्र मेश्राम, आजाद सकवार, संजय वर्मा आदि ने सभी विद्युत कंपनी प्रबंधन से सुरक्षा उपकरण में बदलाव करने की मांग की है।