मध्य प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों एवं ट्रांसमिशन कंपनी में लाईनमैनों एवं ऑपरेटर की अत्याधिक कमी हो चुकी है। आलम ये है कि संविदा कर्मियों के साथ ही आउटसोर्स कर्मियों से सिर्फ मौखिक आदेश पर करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कराया जा रहा है, जिसके चलते सैकड़ों कर्मियों की असमय मृत्यु हो गई और सैकड़ों गंभीर रूप से घायल होकर जीवनभर के लिए दिव्यांग हो गए।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली अधिकारियों के तानाशाहीपूर्ण रवैये के कंपनियों में कार्यरत संविदा और आउटसोर्स कर्मियों का जमकर शोषण हो रहा है। नियमित लाइनमैनों एवं ऑपरेटर की कमी के चलते संविदा और आउटसोर्स कर्मियों से नियमविरुद्ध करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कराया जा रहा है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि नियमित मैनपावर की कमी की स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि कंपनी प्रबंधन के द्वारा संविदा और आउटसोर्स कर्मियों को ट्रेनिंग सेंटरों में सही प्रकार से ट्रेनिंग दिलवाये बिना ही जल्दबाजी में फील्ड में तैनात कर दिया जाता है। इसके बाद जमीनी अधिकारी सिर्फ मौखिक आदेश पर संविदा और आउटसोर्स कर्मियों करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करवा रहे हैं, क्योंकि नियमानुसार इन कर्मियों से करंट का कार्य नहीं करवाया जा सकता, इसलिए मौखिक आदेश देकर और दबाव बनाकर करंट का कार्य करवाया जा रहा है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि करंट का कार्य करने के दौरान जब कभी संविदा या आउटसोर्स कर्मी को करंट लग जाता है, तो सबसे पहले अधिकारी अपने आप को बचाते हैं। कर्मचारियों के द्वारा सुरक्षा उपकरण न पहनने या अन्य कोई कारण बताकर अथवा मिथ्या आरोप लगाकर अधिकारी अपने आप को बचा लेते हैं और सारा दोष संविदा और आउटसोर्स कर्मियों पर मढ़ देते हैं।
संघ के शशि उपाध्याय, केएन लोखंडे, रमेश रजक, एसके मौर्य, अजय कश्यप, एसके शाक्य, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, विपतलाल विश्वकर्मा, महेश पटेल, ख्याली राम, विनोद दास, केएन गर्ग, लखन सिंह राजपूत, अमीन अंसारी, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, जीके कोस्टा, विनय सिंह ठाकुर, संदीप यादव, पवन यादव, राजेश यादव आदि ने बिजली कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि नियमानुसार लिखित आदेश जारी कर ही संविदा और आउटसोर्स कर्मियों से करंट का कार्य कराया जाए और नियमित कर्मियों की भांति सभी सुविधाएं प्रदान की जाए।