मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के अस्तित्व के समय से लेकर विद्युत मंडल के कंपनीकरण के बाद आज 49 वर्षों से बिजली अधिकारियों की तानाशाही जारी है। बिजली अधिकारियों ने नीति-नियम सब दरकिनार करते हुए लाइनकर्मियों का शोषण अनवरत जारी रखा हुआ है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि तकनीकी कर्मचारी संगठन तकनीकी कर्मचारियों का दर्द पिछले 49 वर्षों से देख रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश विद्युत मंडल 1974 से अपने अस्तित्व में आया है, तब से और कंपनीकरण के बाद भी जमीनी अधिकारियों के द्वारा ट्रांसमिशन लाइन एवं सब-स्टेशनों तथा वितरण केन्द्रों के एलटी सब-स्टेशनों, सर्किट फ्यूज बॉक्स में धनतेरस से दीपावली तक, तीन दिनों के लिए विशेष ड्यूटी लगाई जाती है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों के अनेक अधिकारियों के द्वारा तकनीकी कर्मचारियों की ड्यूटी 16 घंटे की लगा दी जाती है। अधिकारी तकनीकी कर्मचारियों की ड्यूटी नियमानुसार शाम 4 बजे की शिफ्ट की बजाए, शाम 6 बजे से लगा देते हैं, जिसकी वजह से कर्मचारी रात 2 बजे तक ड्यूटी करता है। इतना ही नहीं इन तकनीकी कर्मचारियों से शिफ्ट खत्म होने के बाद भी सुबह तक ड्यूटी करवाई जाती है, जो 16 घंटे तक हो जाती है।
संघ के केएन लोखंडे, रमेश रजक, एसके मौर्य, अजय कश्यप, एसके शाक्य, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, विपतलाल विश्वकर्मा, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, ख्याली राम, विनोद दास, केएन गर्ग, लखन सिंह राजपूत, अमीन अंसारी, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, जीके कोस्टा, विनय सिंह ठाकुर, संदीप यादव, पवन यादव, राजेश यादव आदि ने बिजली कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि विद्युत तंत्र को चलाएमान रखने वाले कर्मचारियों की ड्यूटी नियमानुसार शिफ्ट में लगाई जाए।