एमपी की बोर्ड परीक्षा वर्ष 2023 में जबलपुर जिले में कक्षा 10वीं में 42वें तथा कक्षा 12वीं में 43वें पायदान पर रहा है। जबकि प्रदेश के अन्य आदिवासी एवं छोटे जिलों का रिजल्ट उत्साहजनक रहा है, जहां जवलपुर के मुकाबले विषयवार शिक्षकों की कमी के बावजूद उनका परीक्षा परिणाम अच्छा रहा है। प्रदेश में जबलपुर भोपाल एवं इन्दौर के बाद तीसरा सबसे बडा महानगर है यहां शिक्षा का मूलभूत ढांचा विषयवार शिक्षकों की उपलब्धता एवं अन्य संसाधन अन्य जिलों के अपेक्षा कहीं बेहतर है, इसके बाद भी बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट निराशाजनक है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि इसका मुख्य कारण यह है कि जबलपुर जिले में विगत कई वर्षो से शिक्षा की कमान प्रभारी डीईओ के भरोसे पर चल रही है, जो शैक्षणिक कार्यों में रूची न लेते हुए नियम विरूद्ध अनुकम्पा नियुक्ति, स्थानांतरण उद्योग, अशासकीय स्कूलों की नियम विरुद्ध मान्यता आदि भारी अनियमितताओं में लिप्त हैं। जिनकी अनेक शिकायतें भोपाल स्तर पर लंबित हैं, इसके बाद भी शासन स्तर से इन पर कोई कार्यवाहीं नहीं की जा रही है। परीक्षा परिणाम में जबलपुर जिला फिसड्डी होने से सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। प्रदेश में जबलपुर को शिक्षा का हब माना जाता है, इसके बाद भी कक्षा 10वीं एवं 12वीं का परीक्षा परिणाम इतना कम है जो जांच का विषय है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, राम दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, बृजेश मिश्रा, वीरेन्द्र तिवारी, दुर्गेश पाण्डे, धनश्याम पटैल, रमेश उपाध्याय, प्रशांत श्रीवास्तव, साहिल सिद्दीकी आदि ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री को ई-मेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की है कि बोर्ड परीक्षा में फिसड्डी रहने वाले प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर को तत्काल हटाते हुए पूर्ण कालिक डीईओ की पदस्थापना की जावे।