मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि मध्य प्रदेश विद्युत मंडल एवं बिजली कंपनियों में सेवाकाल के दौरान मृत हुए कार्मिकों के आश्रितों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि मध्य प्रदेश शासन के अन्य विभागों में बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है। विद्युत मंडल के द्वारा 1 सितंबर 2000 से वित्तीय स्थिति खराब होने का हवाला देकर अनुकंपा नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी, जिसके बाद वर्ष 1997 से लेकर अब तक अनेक अनुकंपा आश्रित नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं।
हरेंद्र श्रीवास्तव बताया कि बिजली कंपनियों ने नई अनुकंपा नीति लागू कर वर्ष 2014 में अनुकंपा नियुक्ति देना आरंभ किया गया तो उसमें भी मौतों का बंटवारा करते हुए 10 अप्रैल 2012 के पूर्व एवं 15 नवंबर 2000 के पश्चात के सामान्य कारणों से मृत हुए कार्मिकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने का अमानवीय निर्णय लिया गया, जिससे हजारों अनुकंपा आश्रित नियुक्ति से वंचित हो गए और आज दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि सामान्य बीमारियों से मृत होने वाले भी तो विद्युत मंडल एवं बिजली कंपनियों के ही कर्मचारी हैं। उनके साथ भेदभाव किया जाना मानवीयता के विरुद्ध है। इसके अलावा मध्य प्रदेश शासन द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों में आश्रित की शैक्षणिक योग्यता अपूर्ण होने पर भी नियुक्ति प्रदान करने के बाद तीन वर्ष का समय दिया जाता है, ताकि आश्रित शैक्षणिक योग्यता पूर्ण कर सके, लेकिन बिजली कंपनी के अधिकारी इस प्रावधान को अनुकंपा नीति में शामिल नहीं कर रहे हैं।
संघ केके लोखंडे, एसके मौर्य, शशि उपाध्याय, दशरथ शर्मा, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, मोहन दुबे, लखन सिंह राजपूत, पीएन मिश्रा, विपतलाल विश्वकर्मा, अशोक पटेल, अजय मिश्रा, वैदेही शरण चतुर्वेदी, अरुण मालवीय, संदीप यादव, आजाद सकवार, इंद्रपाल सिंह, जगदीश मेहरा, राहुल दुबे आदि ने प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा एवं ऊर्जा विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि विद्युत मंडल एवं बिजली कंपनियों के सभी अनुकंपा आश्रितों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।