बिजली कंपनी के अधिकारी इस कदर अमानवीय हो गए हैं कि उन्हें इस बात की भी खबर नहीं है कि उनके मातहत कार्य करने वाले कर्मचारी किस हाल में हैं। करंट का कार्य सौंपने के बाद अधिकारी ये तक नहीं जानना चाहते कि जिस कर्मचारी को कार्य सौंपा गया था, वो किस हाल में हैं, सुरक्षित है कि नहीं, कहीं कोई घटना-दुर्घटना तो घटित नहीं हुई।
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जबलपुर सिटी सर्किल के दक्षिण संभाग के कार्यपालन अभियंता कार्यालय के अंतर्गत गढ़ा उप संभाग मेंटेनेंस में कार्यरत आउटसोर्स कर्मी शेख शरीफ को 5 अगस्त 2024 को अपरान्ह लगभग 3:30 बजे जूनियर इंजीनियर के द्वारा कृपाल चौक की स्ट्रीट लाइट में आए फॉल्ट के सुधार का कार्य सौंपा गया था।
जूनियर इंजीनियर के आदेश पर आउटसोर्स कर्मी शेख शरीफ अपने साथियों के साथ कृपाल चौक में बांस की सीढी पर चढ़कर पोल पर स्ट्रीट लाइट की केबल में सुधार कर रहा था, उसी समय उसे करंट झटका लगा, लेकिन नीचे गिरने के बजाए वो पोल पर लगे क्लैंप पर फंस गया और कुछ देर के लिए लटक गया। मौके पर मौजूद सहयोगियों के द्वारा शेख शरीफ को नीचे उतर कर प्राथमिक उपचार कराया गया और आउटसोर्स कर्मी को घर भेज दिया।
हालांकि इसके बाद आउटसोर्स कर्मी शेख शरीफ को तकलीफ ज्यादा होने के कारण जब एक्सरे कराया गया तो पता चला कि उसके कमर की रीढ़ की हड्डी में कहीं नस दब गई है। लेकिन इस महीने वेतन में कटौती होने और पैसे के अभाव में आउटसोर्स कर्मी न एमआरआई करवा पा रहा है और न ही समुचित उपचार करवा पा रहा। ताज्जुब की बात ये है कि इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी पांच दिन गुजर जाने के बाद भी दक्षिण संभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं है, जिससे आउटसोर्स कर्मी को कंपनी के नियमानुसार आर्थिक सहायता राशि भी नहीं मिल पाई है।
वहीं जब इस घटना की जानकारी मध्यप्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव को लगी तो वे अपने साथी मोहन दुबे के साथ आउटसोर्स कर्मी शेख शरीफ के घर पहुंचे तथा उसका हालचाल लिया और आउटसोर्स कर्मी के उपचार के लिए अधिकारियों से चर्चा की।