मध्य प्रदेश की मध्य व पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनियों के 11 केव्ही कृषि फीडरों पर एक दिन में 10 घण्टे से एक मिनिट भी ज्यादा बिजली सप्लाई देने पर फीडरों पर लगे यह एनर्जी मीटर 15 से 30 मिनिट के स्लॉट में गणना कर वास्तविकता से अधिक रीडिंग दर्शा रहे हैं।
मप्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव एवं महामंत्री दिनेश सिसोदिया ने बिजली कंपनियों के प्रबंध संचालकों को प्रेषित पत्र में कहा कि एनर्जी मीटर की गड़बड़ी का ठीकरा उपकेन्द्रों में पदस्थ सैकड़ों आउटसोर्स ऑपरेटरों पर मढ़ते हुए ज्यादा सप्लाई देने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। जबकि इन्हीं मामलों में रेगुलर कर्मियों का केवल वेतन काटा जा रहा है, जो सरासर बिजली कम्पनी का दोहरा मापदण्ड है।
मनोज भार्गव का कहना है कि गत बिजली आउटसोर्स आंदोलन के दौरान हटाये गये आउटसोर्स कर्मी दोबारा नौकरी पर रख तो लिये गये, पर अब इनमें से ग्रामीण क्षेत्र संचा-संधा वृत्त भोपाल, विदिशा, बैतूल, ग्वालियर, भिण्ड, अशोकनगर, श्योपुर, मंदसौर सहित कई जगह यह आउटसोर्स कर्मी अब नौकरी से हटाये जा रहे हैं।
मध्य क्षेत्र कम्पनी में सिक्योर व वीनस कम्पनी के, जबकि पश्चिम क्षेत्र बिजली कम्पनी में सिक्योर, जीनस, एलएनटी कम्पनी के एनर्जी मीटर लगे हैं। यह एनर्जी मीटर बिजली फॉल्ट होने पर लाईन चालू करने संबंधी ट्राई लेने की प्रक्रिया के दौरान एक मिनिट भी अधिक बिजली सप्लाई को 15 से 30 मिनिट के स्लॉट में दर्शा रहे हैं, जिससे डॉस एम पोर्टल पर रिपोर्ट वास्तविक नहीं आ रही है।
मनोज भार्गव ने माँग की है कि मौजूदा एनर्जी मीटर गणना व्यवस्था दुरूस्त की जाये और दैनिक गणना की जगह मासिक आधार पर वास्तविक गणना को आधार बनाया जाना चाहिए और जिन अनुभवी आउटसोर्स कर्मियों की नौकरी अधिक सप्लाई देने की वजह से छीनी गई है, उन्हें नौकरी में दोबारा वापिस रखा जाये। जिस प्रकार अधिक सप्लाई देने पर रेगुलर बिजली कर्मियों का वेतन कटौत्री का मापदण्ड बनाया है, वही प्रक्रिया आउटसोर्स कर्मियों के मामलों में अपनाई जाकर एकरूपतापूर्ण प्रणाली अपनाई जाना चाहिए।