मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में सबसे ज्यादा शोषण बिजली आउटसोर्स कर्मियों का किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बिजली आउटसोर्स कर्मियों की बदौलत ही पूरा प्रदेश रोशन हो रहा है, लेकिन जान का जोखिम उठाकर हर घर में उजाला करने वाले इन आउटसोर्स कर्मियों एवं उनके परिवार का भविष्य अंधकार में डूबा हुआ है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली आउटसोर्स कर्मियों की मांगों पर चर्चा के के लिए संघ पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई, जिसमें उपस्थित सभी पदाधिकारियों के द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की सभी उतरवर्ती कंपनियों में कार्यरत सभी 50 हज़ार आउटसोर्स कर्मियों का जीवन बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है। आउटसोर्स कर्मियों को सबसे कम वेतन 8 से 10 रुपए हजार प्रतिमाह मिल रहा है।
वहीं उनके अनुबंध में लिखा है कि 26 दिन नौकरी करना है, लेकिन जमीनी अधिकारियों के द्वारा उनसे 30 दिन नौकरी कराई जा रही है। उनको चार दिन का भी अवकाश नहीं दिया जाता है। इससे वे अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं, जिसकी वजह से आउटसोर्स कर्मचारी का मानसिक तनाव से बीमार हो रहे हैं। मध्य प्रदेश के 54 जिलों की विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाएमान रखने में 50000 आउटसोर्स कर्मियों की सबसे बड़ी भूमिका है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा मध्य प्रदेश के सभी विभाग के कर्मचारियों की महापंचायत बुलाकर उनकी समस्याओं का समाधान किया गया एवं उनका वेतन भी बढ़ाया गया है। सबसे अति आवश्यक विद्युत विभाग के आउटसोर्स कर्मियों के साथ अन्याय न किया जावे। उनके एवं उनके परिवार का जीवन सुरक्षित रखने के लिए मानव संसाधन नीति का निर्माण किया जावे एवं सभी आउटसोर्स कर्मियों का बिजली कंपनियों में संविलियन कर ठेकेदारी प्रथा को समाप्त किया जावे।
संघ के राम समझ यादव, शंभू नाथ सिंह, रमेश रजक, रतिपाल यादव, मोहन दुबे, अजय कश्यप, राम केवल यादव, विनोद दास, इंद्रपाल सिंह, संदीप दीपांकर, पवन यादव, राहुल मालवीय, नितिन गावंडे, शिव राजपूत, शंकर यादव, संदीप यादव, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, पीके मिश्रा आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि आचार संहिता लगने के पूर्व बिजली आउटसोर्स कर्मियों की महापंचायत बुलाकर उनकी लंबित मांगों का समाधान करें।